योजना आयोग ने गुजरात में मुस्लिम वर्ग के छात्रों के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में कम दाखिले को लेकर गहरा असंतोष जताया है। आयोग की ओर से गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे गए एक पत्र में मुस्लिम छात्रों के कमतर दाखिले का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि इस अंतर को खत्म किया जाना चाहिए। विशेष बात यह है कि मोदी को यह पत्र ऐसे समय में भेजा गया है जब भाजपा के पूर्व अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने अपने ब्लॉग में केंद्र सरकार की ओर से गठित सच्चर कमेटी का हवाला देते हुए कहा है कि गुजरात में राष्ट्रीय औसत के मुकाबले गुजरात में मुसलिमों की स्थिति बेहतर है। आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया की ओर से भेजे गए इस पत्र में कहा गया है कि ‘राज्य में मुस्लिमों की आबादी 9.1 प्रतिशत है। राज्य में स्कूलों के कुल दाखिले में प्राथमिक स्कूल में 4.7 प्रतिशत व उच्च प्राथमिक स्कूलों में मात्र 4.8 प्रतिशत छात्र ही इस वर्ग से हैं।’ अहलूवालिया ने अपने इस पत्र में जोर देते हुए कहा है कि ‘इस अंतर को खत्म किया जाना चाहिए।’ आयोग ने राज्य के प्रगतिशील होने की दावों को भी खारिज किया है। आयोग ने कहा है कि राज्य में महिलाओं व बच्चों के बीच कुपोषण की दर खासी ऊंची है। अहलूवालिया ने मध्य गुजरात के आदिवासी बहुल डंग क्षेत्र के विकास को लेकर भी मोदी से सवाल जवाब किए हैं। आयोग ने राज्य में स्वास्थ्य केंद्रों में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की कमी की ओर संकेत करते हुए राज्य सरकार को इस दिशा में कदमताल तेज करने की सलाह दी है। पत्र में कहा गया है कि राज्य को आतंरिक संसाधन जुटाने की दिशा में कार्य करना होगा। पत्र में कहा गया है कि राज्य का टैक्स आय पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से कम है। माना जा रहा है कि आयोग ने इस बात का उल्लेख इसलिए किया है क्योंकि चुनावों के समय मोदी कहते रहे हैं कि अगर वे अपने पड़ोसी (महाराष्ट्र) से आर्थिक मोर्चे पर आगे निकल गए हैं तो इसमें उनका क्या कसूर है।
मुख्य समाचारः
25 मई 2010
गुजरात में शिक्षा से दूर हैं मुसलमान
(दैनिक भास्कर,21.5.2010 में संतोष ठाकुर की रिपोर्ट)
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