उच्च शिक्षा के मेधावी छात्रों व छात्राओं के लिए चल रही छात्रवृत्ति योजना में पिछड़ रहे उत्तर प्रदेश व बिहार जैसे राज्यों के छात्रों की भी स्थिति सुधरेगी। केंद्र सरकार इसके लिए दिशानिर्देशों में बदलाव करने जा रही है। उम्मीद है कि इस बदलाव को गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी भी मिल जायेगी। सूत्रों के मुताबिक 10+2 के आधार पर पढ़ाई करके इंटरमीडिएट में 80 प्रतिशत अंक लाने वाले और क्रीमीलेयर के दायरे से बाहर के छात्र-छात्राओं के लिए चलाई जा रही सालाना 82 हजार छात्रवृत्तियों में उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के छात्रों को कम मौका मिल रहा है। बताते हैं कि इन राज्यों समेत कुछ दूसरे राज्यों में छात्रवृत्ति को हासिल करने में इंटरमीडिएट में 80 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता आड़े आ रही है। वजह यह है कि उनके राज्य शिक्षा बोर्ड ज्यादा कठिन हैं और उनके छात्रों को दूसरे राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्डो की तुलना में प्राय: कम अंक मिलते हैं। लिहाजा वे छात्रवृत्ति लेने के मामले में दूसरे राज्यों से पिछड़ रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अब इसमें बदलाव का फार्मूला तैयार किया है। उसके तहत इंटर में 80 प्रतिशत अंक लाने की अनिवार्यता की जगह परशेंटाइल (प्रतिशतक) फार्मूला अख्तियार किया जाएगा। मतलब यह कि छात्रवृत्ति के लिए संपूर्ण अंक को जोड़कर उसे आवेदकों की संख्या में विभाजित करके परशेंटाइल निकाला जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के इस प्रस्ताव को गुरुवार को कैबिनेट की मंजूरी मिलने की उम्मीद है। गौरतलब है कि योजना के तहत पात्र छात्र-छात्राओं को ग्रेजुएट स्तर पर तीन साल तक एक हजार रुपये महीने, जबकि पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर 2000 रुपये प्रति महीने छात्रवृत्ति मिलती है। व्यावसायिक उच्च शिक्षा हासिल कर रहे छात्रों को उनकी पढ़ाई के चौथे व पांचवें साल में 2000 रुपये प्रति माह की छात्रवृत्ति मिलती है।
(दैनिक जागरण,दिल्ली,13.5.2010 में राजकेश्वर सिंह की रिपोर्ट)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।