बदलते वैश्विक परिदृश्य की मांग के अनुरूप तथा विशेषत: समाज के पिछड़े वर्ग को गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से केन्द्रीय विश्वविद्यालय ने आठ कोर्सेस शुरू किए है। जेडीबी गर्ल्स कॉलेज में बुधवार को केन्द्रीय विवि अजमेर की ओर से आयोजित विशेष काउंसलिंग में विवि के अधिकारी गौरव शर्मा ने छात्रों एवं उनके अभिभावकों को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि एमएससी, एमटेक, एमए आदि कोर्सेस के लिए 2600 रुपए प्रति सेमेस्टर तथा एमबीए के लिए 7250 रुपए प्रति सेमेस्टर शिक्षण शुल्क रखा गया है। केन्द्र सरकार के फंड से संचालित इस विवि में एकल पुत्री छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत दो हजार रुपए प्रति माह छात्रवृत्ति यूजीसी द्वारा दी जाएगी। एससी एसटी छात्रवृत्ति राजस्थान सरकार द्वारा देय होगी। इसके अलावा प्रत्येक पाठच्यक्रम के प्रथम तीन टॉपर्स को एक हजार रुपए प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि सत्र 2010-11 में विवि कुल आठ कोर्सेस चलाएगा। सभी कोर्स नवीनतम है। एक्चूरियल साइंस में एमएससी व एमए के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस विषय के डिग्रीधारी देश में वर्तमान में केवल 50 प्रतिशत ही उपलब्ध है। बीमा कंपनियों द्वारा इन विशेषज्ञों को बेहतर पैकेज दिए जा रहे है। पाठयक्रम इस प्रकार निर्धारित किए गए है कि छात्र बिना प्रशिक्षण की आवश्यकता के प्रथम दिवस से ही अपने कार्य क्षेत्र में कार्य प्रारंभ कर सकता है।
(दैनिक भास्कर,कोटा,13.5.2010)
उन्होंने बताया कि एमएससी, एमटेक, एमए आदि कोर्सेस के लिए 2600 रुपए प्रति सेमेस्टर तथा एमबीए के लिए 7250 रुपए प्रति सेमेस्टर शिक्षण शुल्क रखा गया है। केन्द्र सरकार के फंड से संचालित इस विवि में एकल पुत्री छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत दो हजार रुपए प्रति माह छात्रवृत्ति यूजीसी द्वारा दी जाएगी। एससी एसटी छात्रवृत्ति राजस्थान सरकार द्वारा देय होगी। इसके अलावा प्रत्येक पाठच्यक्रम के प्रथम तीन टॉपर्स को एक हजार रुपए प्रतिमाह छात्रवृत्ति दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि सत्र 2010-11 में विवि कुल आठ कोर्सेस चलाएगा। सभी कोर्स नवीनतम है। एक्चूरियल साइंस में एमएससी व एमए के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस विषय के डिग्रीधारी देश में वर्तमान में केवल 50 प्रतिशत ही उपलब्ध है। बीमा कंपनियों द्वारा इन विशेषज्ञों को बेहतर पैकेज दिए जा रहे है। पाठयक्रम इस प्रकार निर्धारित किए गए है कि छात्र बिना प्रशिक्षण की आवश्यकता के प्रथम दिवस से ही अपने कार्य क्षेत्र में कार्य प्रारंभ कर सकता है।
(दैनिक भास्कर,कोटा,13.5.2010)
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