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24 जून 2011

महाराष्ट्र में 12.05 लाख छात्र बीमार

वर्ष 2010-11 में कक्षा पहली से दसवीं तक शिक्षा लेनेवाले राज्य के 12.05 लाख विद्यार्थियों के बीमार होने की जानकारी राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान के तहत सामने आयी है।

एक ओर जहां विद्यार्थियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है, वहीं बीमार विद्यार्थियों की संख्या देखते हुए स्वास्थ्य विभाग पर सवाल उठ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान अंतर्गत शहरी क्षेत्रों में कक्षा पहली से चौथी एवं ग्रामीण क्षेत्र में कक्षा पहली से दसवीं तक के विद्यार्थियों की प्रतिवर्ष नि:शुल्क जांच कर आवश्यक शल्यक्रियाएं की जाती हैं।

दिन-ब-दिन बढ़ रहे प्रदूषण, विविध रोगों के संक्रमण से शिशुओं के स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम होते हैं। शालाओं में जानेवाले छात्रों में आमतौर पर दंतरोग, रक्तक्षय, कृमि संक्रमण, रतौंधी, कर्णरोग, त्वचा के रोग, नेत्ररोग, हृदयरोग जैसी गंभीर बीमारियों का असर दिखाई देता है।


इसी के मद्देनजर सरकार द्वारा शालेय स्वास्थ्य कार्यक्रम द्वारा विद्यार्थियों की स्वास्थ्य जांच एवं उपचार किया जा रहा है। इस अभियान अंतर्गत सामने आए आकड़ों के मुताबिक वर्ष 2008-09 में राज्य के कुल 79 हजार 547 शालाओं के 142.47 लाख विद्यार्थियों में से 108.02 लाख विद्यार्थियों की जांच की गई। 

जबकि 25.51 विद्यार्थियों पर उपचार, 2.64 विद्यार्थियों को स्वास्थ्य सेवा मुहैया करायी गई और 2.293 छात्रों पर बड़ी शल्यक्रियाएं की गई हैं। जबकि वर्ष 2008-10 में 1 लाख 13 हजार 082 शालाओं का समावेश किया गया। 

जिसमें 243.21 लाख प्रवेशित विद्यार्थियों में 157.21 लाख छात्रों की जांच हुई। जिनमें से 37.09 लाख विद्यार्थियों पर उपचार, 1.77 लाख को स्वास्थ्य सेवा और 3 हजार 482 विद्यार्थियों पर शल्यक्रियाएं हुईं।

537 बच्चे हृदय रोगी 

राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान द्वारा चलाए जानेवाले शालेय स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत वर्ष 2010-11 में राज्य के कुल 537 विद्यार्थियों की हृदय शल्यक्रिया की गई। जबकि वर्ष 2008-09 में 1 हजार 112 विद्यार्थियों की तथा वर्ष 2009-10 में 1 हजार 218 विद्यार्थियों की हृदय शल्यक्रिया की गई। 

पल्स पोलियो पर 28.41 करोड़ खर्च

वर्ष 1995-96 से राज्य में क्रियान्वित किए जा रहे पल्स पोलियो कार्यक्रम के माध्यम से 5 वर्ष से कम आयु के शिशुओं को पोलियो का डोज पिलाया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2010-11 में 28.41 करोड़ रुपए खर्च किए। जबकि वर्ष 2009-10 में 34.74 करोड़ रुपए खर्च हुए। 

वर्ष 2007 और 08 में पोलियो के दो केस सामने आए। जबकि वर्ष 2009 में एक भी शिशु पोलियोग्रस्त नहीं पाया गया। वर्ष 2010 में लगभग 118 लाख शिशुओं को पल्स पोलियो का टीका दिया गया। अक्तूबर 2010 तक 5 शिशु पोलियोग्रस्त मिले(पंकज शर्मा,दैनिक भास्कर,चंद्रपुर,24.6.11)।

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