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17 जून 2011

दिल्ली में 13 वर्षों से नहीं खुला कोई नया कॉलेज

डीयू के कॉलेजों में दाखिले के लिए मेरिट लिस्ट शत प्रतिशत तक जा पहुंची है। ऐसे में 90 प्रतिशत अंक लाने वाले होनहार छात्र भी कॉलेज की पढ़ाई से महरूम रह सकते हैं। इस स्थिति के लिए विपक्ष ने दीक्षित सरकार को दोषी ठहराया है।
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार मल्होत्रा का कहना है कि दिल्ली सरकार ने बीते 13 वर्षो में एक भी सरकारी कॉलेज नहीं खोला है, जिससे हालात बेहद खराब होने लगे हैं। मल्होत्रा के मुताबिक बीते 13 वर्षो में दिल्ली की आबादी 50 लाख बढ़ गई है।
इनमें लाखों की तादाद में छात्र भी शामिल हैं। छात्रों की बढ़ती संख्या के बावजूद कॉलेजों की संख्या सीमित ही बनी हुई है और 90 प्रतिशत अंक लाने लाने के बावजूद छात्र कॉलजों में दाखिले के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं।

मल्होत्रा के मुताबिक 1967 से 72 के दौरान जब वह मुख्य कार्यकारी पार्षद थे तो उन्होंने 18 नए सरकारी कॉलेज खोले थे, जिससे 60 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्रों को भी कॉलेजों में दाखिला मिल गया था।

मल्होत्रा ने कहा कि दिल्ली में 1998 से शीला दीक्षित की सरकार है। पिछले 13 वर्षो में डीयू से संबंधित एक भी कॉलेज न खोलना सरकार की आपराधिक लापरवाही है, जिसका खामियाजा लाखों विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,16.6.11)।

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