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26 जून 2011

मध्यप्रदेशःसरकारी कॉलेजों में 70 साल की उम्र तक पढ़ा सकेंगे

प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए राज्य सरकार अब रिटायर होने जा रहे डॉक्टरों की सेवाएं लेगी। इसके लिए संचालक चिकित्सा शिक्षा ने सभी मेडिकल कॉलेजों के डीन को स्वस्थ (फिट) डॉक्टरों की सूची भेजने को कहा है।
ये डॉक्टर अधिकतम 70 साल की उम्र तक मेडिकल कॉलेजों में पढ़ा सकेंगे। फिलहाल मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों के रिटायरमेंट की उम्र 65 साल है।
सरकार के इस फैसले के साथ ही मेडिकल कॉलेजों से रिटायर हो चुके डॉक्टरों के बीच नई बहस छिड़ गई है। कुछ डॉक्टर इस निर्णय को सही ठहरा रहे हैं, वहीं मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के सेवानिवृत्त अधिकारी इसकी आलोचना कर रहे हैं।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों में फॉरेंसिक मेडिसिन, रेडियो डायग्नोसिस, एनाटॉमी, कार्डियोलॉजी सहित कई अन्य विषयों के सहायक प्राध्यापक नहीं मिल रहे हैं। इसका असर मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई पर भी हो रहा है। सरकार ने इन डॉक्टरों के चयन का आधार कॉलेज में पद की उपलब्धता और डॉक्टरों की फिटनेस को रखा है।
युवा डॉक्टरों को नौकरी नहीं मिलेगी: मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के सेवानिवृत्त अध्यक्ष डॉ. भरत छपरवाल का कहना है कि मेडिकल कॉलेजों से रिटायर होने वाले डॉक्टरों का कार्यकाल बढ़ने से युवा डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेजों में नौकरी मिलने में दिक्कत होगी।

रिटायर डॉक्टरों की सेवाएं लेने के लिए सरकार को अलग से पद स्वीकृत करना चाहिए, जिससे नियमित पदों पर नए डॉक्टरों की पदस्थापना की जा सके।
तो सुधर जाएगा पढ़ाई का स्तर : सेवानिवृत्त संचालक चिकित्सा शिक्षा डॉ. एनआर भंडारी ने मेडिकल कॉलेजों की दशा सुधारने के लिए रिटायर हो रहे डॉक्टरों का कार्यकाल बढ़ाने के निर्णय को सही ठहराया है। उनका कहना है कि मेडिकल कॉलेजों में टीचिंग स्टाफ की कमी के कारण एमसीआई कई विषयों के पीजी कोर्स को मान्यता नहीं दे रही है। डॉक्टरों का कार्यकाल बढ़ने से कॉलेजों की टीचिंग स्टाफ की कमी दूर हो जाएगी।
मेडिकल कॉलेजों के डीन से उन डॉक्टरों की सूची मांगी गई है, जो इस साल रिटायर होने जा रहे हैं। इनमें से उन डॉक्टरों की सेवा पांच साल बढ़ाई जाएगी, जो स्वस्थ होने के साथ कॉलेज की जरूरत को पूरा कर सकेंगे।
डॉ.एमके सारस्वत,संचालक,चिकित्सा शिक्षा(दैनिक भास्कर,भोपाल,26.6.11)

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