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24 जून 2011

डीयू को लैंग्वेज कोर्सो में नहीं मिल पा रहे हैं छात्र

दिल्ली विश्वविद्यालय की दूसरी कटऑफ के आधार पर दाखिले के दो दिन बीत चुके हैं पर संस्कृत, अरबी, उर्दू, पर्सयिन, बंगाली और पंजाबी जैसी भाषाओं में उर्दू को छात्र नहीं मिल रहे हैं। जाकिर हुसैन कॉलेज जो कि अरबी, उर्दू, पर्सयिन और बंगाली में बीए ऑनर्स कराता है को कुछ लैंग्वेज कोर्स में अभी तक छात्र नहीं मिले हैं। कॉलेज में पर्सयिन और बंगाली भाषा में एक भी दाखिला नहीं हुआ है।

जाकिर हुसैन कॉलेज के प्राचार्य डा. अस्लम परवेज कहते हैं कि सामान्यत: इन कोर्सों में छात्रों का रुझान तीसरी कटऑफ के बाद देखने को मिलता है क्योंकि तब तक छात्रों के पास अन्य विकल्प खत्म हो चुके होते हैं। उन्होंने कहा कि पिछली बार की तुलना में इस बार अरबी भाषा में रिस्पांस बेहतर आया है इसमें 23 सीटों के लिए 14 दाखिले हो चुके हैं पर अन्य भाषाओं में रिस्पांस उतना बेहतर नहीं आया है।

प्रमुख बात यह है कि अरबी में दाखिले के लिए आई छह लड़कियों के अस्सी प्रतिशत अंक है। सत्यवती कॉलेज के प्राचार्य शमसुल इस्लाम कहते हैं कि भाषा के कोर्सो में शुरुआत में छात्र नॉर्थ कैंपस की तरफ ही रूख करते हैं। आउट ऑफ कैंपस के कॉलेजों में छात्र तीसरी और चौथी कटऑफ में आते हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक उर्दू में तीन दाखिले हुए हैं और ये दाखिले दूसरी कटऑफ के दूसरे दिन हुए हैं।


विवेकानंद कॉलेज की प्राचार्य डा. रेनू साहनी का कहना है कि संस्कृत में अभी बहुत ज्यादा दाखिले नहीं हुए है। इसमें करीब पांच एडमिशन हुए हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक सबसे कम रिस्पांस संस्कृत में ही मिला है। सबसे अधिक रूझान कॉमर्स का रहा है। वहीं हंसराज कॉलेज के प्राचार्य वी.के.क्वात्रा का कहना है कि पिछले साल की तुलना में रिस्पांस थोड़ा बेहतर हुआ है पर अभी काफी कटऑफ आनी बाकी है। मिरांडा हाउस में आठ बंगाली सीटों के लिए छह से अधिक में दाखिले हो चुके हैं(हिंदुस्तान,दिल्ली,24.3.11)।

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