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20 जून 2011

जेएनयू के ऐतिहासिक टेफ्लास पर जड़ा ताला

छात्र आंदोलनों के माध्यम से सीताराम येचुरी, प्रकाश करात, अशोक तंवर, दिग्विजय सिंह, निर्मला सीतारमण जैसे राष्ट्रीय स्तर के राजनेताओं की जमात खड़ी करने वाले जेएनयू की वर्तमान स्थिति यह है कि अब छात्र संगठनों को छात्रसंघ भवन में भी स्वछंद प्रवेश की इजाजत नहीं रही। जेएनयू प्रशासन ने छात्र आंदोलनों की नर्सरी व लाल दुर्ग के नाम से मशहूर छात्रसंघ भवन टेफ्लास पर अपना ताला जड़ दिया है। किसी भी छात्र अथवा संगठन को यहां बिना अनुमति बैठक, सभा या अन्य गतिविधियों के संचालन की अनुमति नहीं होगी। इसके पूर्व प्रशासन द्वारा छात्रसंघ के लिए प्रतिवर्ष जारी होने वाले फंड को भी बंद कर दिया गया था और छात्रों के प्रतिनिधित्व वाली जेंडर सेंसटाइजेशन कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हरासमेंट (जीएसकैश), लिट्रेरी क्लब, ड्रामा क्लब, नेचर एंड वाइल्ड लाइफ क्लब आदि के चुनाव पर भी पाबंदी लगा दी थी। बीते चुनाव के दौरान लिंगदोह समिति की सिफारिशें न मानने के कारण अदालत द्वारा लगी रोक के बाद से भंग चल रहे छात्रसंघ की अनुपस्थिति के बाद प्रशासन ने संगठनों से एकजुट होकर विचार-विमर्श करने का अधिकार भी छीन लिया है। अब टेफ्लास पर दिनभर ताला लटका होगा और इसकी चाबी विश्वविद्यालय प्रशासन की जेब में होगी। ताला प्रशासन की इच्छा पर निश्चित समय के लिए ही खुलेगा और समयावधि के बाद बंद कर दिया जाएगा। प्रशासन ने शुक्रवार को इस बाबत अधिसूचना जारी की। छात्र कल्याण विभाग के डीन प्रो. वीके जैन के मुताबिक अब टेफ्लास में भी अनुमति के बाद ही किसी तरह की बैठक आयोजित की जा सकेगी। मालूम हो कि हाल ही में प्रशासन द्वारा परिसर में बेवरेज के नाम पर कार्बोरेटेड शीतल पेय पदार्थो व डिब्बा बंद खाद्य व पेय पदार्थो की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया था(अविनाश चंद्र,दैनिक जागरण,दिल्ली,20.6.11)।

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