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16 जून 2011

थैलेसीमिया पीड़ित को सिविल सेवा में न लेने के खिलाफ सोसाइटी जाएगी सुप्रीम कोर्ट

सिविल सर्विस के मेडिकल में अनफिट घोषित थैलेसीमिया पीड़ित सुखसोहित सिंह ने हार नहीं मानी है। देश के करीब एक लाख लोगों की नेशनल थैलेसीमिया सोसाइटी उनके साथ खड़ी हो गई है। सिविल सर्विसेज की परीक्षा में 833 वीं रैंक हासिल करने वाले सुखसोहित को अगर न्याय नहीं मिला तो उनके साथ सोसाइटी भी सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करेगी।
बुधवार को राजस्थान प्रशासनिक सेवा के मेडिकल टेस्ट में शामिल होने जयपुर पहुंचे सुखसोहित को अपनी मेहनत पर पूरा विश्वास है। सरकार से ऐसे सभी मामलों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने की मांग करते हुए उन्होंने थैलेसीमिया पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद जताई है। जयपुर से फोन पर बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों में ऐसा बर्ताव किया जाएगा तो निजी क्षेत्र में क्या होगा। सुखसोहित के मुताबिक सिविल सर्विस परीक्षा से पहले आवेदन के दौरान भी कहीं यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि थैलेसीमिया पीड़ितों का चयन नहीं किया जाएगा। सुखसोहित ने बताया कि वर्ष 2008 की सिविल सर्विसेज परीक्षा में सफल आंध्र प्रदेश के दो उम्मीदवारों को डायबिटीज होने की वजह से अनफिट करार दिया गया है।
नेशनल थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी के जनरल सेक्रेटरी जेएस अरोड़ा ने इस फैसले को गलत करार देते हुए कहा कि थैलेसीमिया के मरीजों को अगर वक्त पर खून मिलता रहे और दवा चलती रहे तो वह भी आम लोगों की तरह काम करने में सक्षम हैं। प्रशासनिक सेवा के तहत मेहनत वाले कम, जबकि प्रशासकीय काम अधिक होते हैं। ऐसे में सुखसोहित को अनफिट करार दिया जाना, सोसाइटी के लिए भी एक चुनौती है। सुखसोहित का इलाज करने वाले डा. आरके मारवाह के मुताबिक आईएएस का काम दिमाग से जुड़ा है। परीक्षा में सुखसोहित की उपलब्धियां इस बात को साबित कर देती है कि वह हजारों स्टूडेंट्स से आगे हैं। ऐसे में उसे मेडिकल में अनफिट करार दिया जाना, चिंतन का विषय है(अमर उजाला,चंडीगढ़,16.6.11)।

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