मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

18 जून 2011

चौधरी चरण सिंह विवि में दाखिलाःकालेज नहीं कोर्स को दें प्राथमिकता

एडमिशन का दौर है। डीयू में भीड़ लगी है, सीसीएसयू में लगने के लिए तैयार है। बारहवीं में अच्छे नंबर लाए हुए छात्रों की संख्या हर साल की तरह इस बार भी बढ़ गई है। विभिन्न कोर्सेस में भविष्य संजोए हुए छात्र-छात्राएं अपने कोर्स की तरह बेस्ट कालेज भी चाहते हैं। पर जरूरी नहीं बेस्ट कालेज और पसंदीदा कोर्स दोनों एक साथ मिल ही जाएं। ऐसे में छात्र कई बार कालेज को ही प्राथमिकता देते हैं, चाहे कोर्स बदलना पड़ जाए।
स्टेट्स सिंबल से न जोड़ें कालेज को

प्रचलन के हिसाब से किस कालेज में पढ़ते हैं, यह स्टेटस सिंबल जैसा बन गया। लेडी ईरविन, मेरिंडा हाउस या फिर लेडी श्रीराम है तो ही ठीक है। किसी को पसंदीदा कालेज में ज्योग्राफी ऑनर्स नहीं मिली तो इंग्लिश ऑनर्स ही ले ली। इस तरह का ट्रेंड भविष्य से खेलने के समान है। आइएमएस यंग अचीवर्स के डायरेक्टर लव जैन के अनुसार भविष्य कोर्स पर टिका होता है। वह पढ़ें जिसमें रुचि है, सिर्फ पढ़ने के लिए न पढ़ें। अच्छा कालेज मायने रखता है, लेकिन कोर्स से ज्यादा नहीं।
दीवान पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य एचएम राउत भी इस बात से सहमत हैं। उनके अनुसार यदि कालेज के नाम पर कोर्स बदल दिया जाए तो यह भविष्य से खिलवाड़ की तरह है। अच्छा कोर्स चुनना हमेशा प्राथमिकता होना चाहिए। यह जरूर है कि अच्छे पसंदीदा कोर्स के साथ पसंदीदा कालेज मिल जाए तो सोने पे सुहागा होता है। एचएम राउत के अनुसार बारहवीं में अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण होने वाले छात्रों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है, लेकिन इस अनुपात में संसाधनों का विकास नहीं हो रहा, जो चिंतनीय है। यदि ज्यादा छात्र अच्छे नंबर ला रहे हैं तो अच्छे कालेजों की संख्या भी बढ़ाई जानी चाहिए(वंदना सिंह,दैनिक जागरण,मेरठ,18.6.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।