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21 जून 2011

उत्तराखंडःआरटीई मानकों के हिसाब से होंगे शिक्षकों के तबादले

प्रदेश में शिक्षकों के मनचाहे तबादले अब आसान नहीं होंगे। एक तरह से कहें तो अब यह संभव नहीं होगा कि जहां अध्यापक चाहे वहीं उसका तबादला हो जाए। दरअसल तबादलों के वक्त विद्यालयी शिक्षा विभाग को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के मानकों का ध्यान रखना होगा।  ऐसे में शिक्षा विभाग को सबसे पहले उन स्कूलों पर ध्यान देना होगा जहां शिक्षक हैं ही नहीं या मानक के मुताबिक कम या ज्यादा शिक्षक है। सीधे तौर पर कहें तो शिक्षा विभाग इस तरह तबादले करने होंगे कि आरटीई के शिक्षक-विद्यार्थी के मानक पूरे किए जा सकें। आरटीई के मानकों के मुताबिक कक्षा एक से पांच तक 60 से कम नामांकित छात्रों वाले विद्यालय में कम से कम दो शिक्षक होने चाहिए जबकि 61 से 90 तक संख्या वाले स्कूल में तीन, 91 से 120 वाले में 4, 121 से 200 छात्रों वाले स्कूलों में पांच 150 से अधिक विद्यार्थी संख्या वाले स्कूलों में पांच शिक्षक और एक मुख्य अध्यापक और 200 से ज्यादा बच्चों वाले स्कूल में मुख्य अध्यापक को छोड़कर 40 से ज्यादा शिक्षक नहीं होने चाहिए। ऐसे में तबादले करते वक्त शिक्षा विभाग को यह ध्यान रखना होगा कि हर स्कूल में मानकों के मुताबिक शिक्षक हों। वैसे प्रदेश में 15344 प्राइमरी स्कूल, 5628 अपर प्राइमरी स्कूल और 1155 प्राइमरी व अपर प्राइमरी कक्षा वाले स्कूल हैं और जिनमें 68605 शिक्षक पढ़ाते हैं। प्रदेश में 2501 प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं जहां पढ़ाई महज एक शिक्षक के भरोसे चल रही है। यही नहीं प्रदेश में 4515 स्कूलों में आरटीई के मानकों के मुताबिक शिक्षक छात्र अनुपात नहीं है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,21.6.11)।

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