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22 जून 2011

डीयूःनॉन-कॉलेजिएट में एक सीट पर पांच दावेदार

डीयू की अधिक कटऑफ के कारण जिन छात्राओं को रेगुलर कॉलेजों में दाखिला नहीं मिल पाया उनके लिए नॉन कॉलेजिएट एक बेहतर विकल्प है। दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉन कॉलेजिएट वुमेन एजुकेशन बोर्ड में स्नातक स्तर पर सिर्फ बीए प्रोग्राम और बीकॉम कोर्स ही पढ़ाई होती है। इन कोर्सेज के लिए निर्धारित 4600 सीटों के लिए इस बार मुख्य सेंटर पर आवेदन करने के अंतिम दिन तक 21 हजार फॉर्म जमा हो गए थे। 2010 में इतनी ही सीटों के लिए लगभग 25 हजार आवेदन आए थे। इस बार आवेदन की संख्या बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।

नॉन-कॉलेजिएट की निदेशक आरती सक्सेना ने बताया कि इस बार कटऑफ पिछले वर्ष के आस-पास ही रहने की संभावना है। बीकॉम और बीए प्रोग्राम की पढ़ाई करने वाली छात्रओं के लिए बेहतर विकल्प है।
कैसे मिलता है दाखिला : यहां दाखिला मेरिट के आधार पर होता है। माना जा रहा है कि इस बार 65 फीसदी से कम अंक की छात्राओं के लिए दाखिला मुश्किल है। ज्ञात हो कि नॉन कॉलेजिएट में पचास टीचिंग डेज छात्राओं को मिलते हैं। हर विषय के लिए 50 कक्षाएं होती हैं।



उपस्थिति का नियम: उपस्थिति का नियम यहां भी सख्ती से लागू होता है। 66 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य है। 2010 में करीब तीन सौ छात्राओं को कम उपस्थिति के कारण परीक्षा देने से रोका गया था। प्रशासन नौकरी के आधार पर उपस्थिति में छूट नहीं देता। नौकरी करने वाली छात्राओं के लिए भी 66 फीसदी उपस्थिति का नियम लागू है। शनिवार व रविवार के अलावा टीचिंग सेंटर पर छुट्टियों के दौरान भी क्लासेज आयोजित होते हैं(हिंदुस्तान,दिल्ली,22.6.11)।

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