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24 जून 2011

छत्तीसगढ़ःपीएमटी फर्जीवाड़ा फूटा हस्ताक्षर की जांच से

चार सालों से मेडिकल कॉलेजों में फर्जी प्रवेश जांच कर रही सीआईडी ने ज्यादातर मामलों में मुन्नाभाइयों को हस्ताक्षर से पकड़ा। अंगूठे का निशान और फोटो एक जैसे होने की वजह से सीआईडी ने छात्रों के हस्ताक्षर के नमूने लिए। हैंडराइटिंग एक्सपर्ट्स की रिपोर्ट आने के बाद यह साबित हो गया कि परीक्षा देने वाला और प्रवेश लेने वाले छात्र अलग-अलग हैं।

व्यापमं और चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की लापरवाही के चलते मुन्ना भाई आसानी से अपने कार्यो को अंजाम दे रहे हैं। सीआईडी ने अपनी जांच के दौरान इस बात का खुलासा किया कि काउंसिलिंग के बाद संचालनालय की ओर छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश लेने के लिए कई दिनों का समय दिया जाता है।

इस दौरान असली छात्र परीक्षा और काउंसिलिंग में शामिल हुए बिना कॉलेज में प्रवेश ले लेता है। राज्य के तीनों सरकारी मेडिकल कॉलेजों में संचालनालय की काउंसिलिंग के दौरान बिना किसी क्रॉस चेकिंग के आंख बंद कर प्रवेश दे दिया जाता है। प्रवेश के समय छात्र के किसी दस्तावेज की जांच तक नहीं की जाती। काउंसिलिंग में मिले अलॉटमेंट लैटर के आधार पर प्रवेश दे दिया जाता है।

व्यापमं केवल मेरिट लिस्ट भेजता है


चिकित्सा शिक्षा संचालनालय की ओर से आयोजित काउंसिलिंग में व्यापमं की ओर से संचालनालय को केवल परिणाम के बुकलेट उपलब्ध करवाए जाते हैं। इस बुकलेट में परीक्षा देने वाले परीक्षार्थी का रोल नंबर और नाम, पिता का नाम, परीक्षा केंद्र, मेरिट लिस्ट में स्थान, वर्ग तथा किस विषय में कितने अंक मिले इसकी जानकारी होती है। इसके अलावा परीक्षार्थी का फोटो या किसी भी तरह के हस्तलिखित डाटा की जानकारी संचालनालय को दी ही नहीं जाती है। 

यही वजह है कि परीक्षा में बैठने वाला मुन्ना भाई बेखौफ काउंसिलिंग में भी चला जाता है। गिरोह के काम के तरीकों को देखते हुए अब सीआईडी ने व्यापमं को सुझाव दिया है कि वो काउंसिलिंग में परीक्षार्थी के फोटो से लेकर ओएमआर फॉर्म की फोटोकॉपी भी दे। इससे तत्काल छात्रों की हैंडराइटिंग का मिलान किया जा सकेगा(दैनिक भास्कर,रायपुर,24.6.11)।

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