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18 जून 2011

नए इंजीनियरों व स्नातकों पर नौकरी का संकट गहराया

सेंट स्टीफेंस कालेज की शत प्रतिशत कटआफ सूची भले ही मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को नागवार गुजरी हो, मगर यह भी सच है कि इंजीनियरिंग और डिग्री कालेजों का स्तर गिरता जा रहा है । यहां से निकलने वाले लड़कों को 65 फीसद उद्योग जगत फेल कर रहा है या उनके काम से संतुष्ट नहीं है। उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए उद्योग जगत की शीर्ष संस्था फिक्की ने सिब्बल को पत्र लिखकर सख्त कानून बनाने की मांग की है। उच्च शिक्षा के गिरते स्तर पर सिब्बल भी चिंतित हैं और वे जल्द ही देश भर के शिक्षा मंत्रियों की एक बैठक बुलाने जा रहे हैं जिसमें विविद्यालय अनुदान आयोग व केंद्रीय विविद्यालयों के विशेषज्ञों को भी बुलाया जा रहा है ताकि एक व्यापक नीति तैयार हो सके। मगर उससे पहले ही सेंट स्टीफेंस की कटआफ सूची ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। फिक्की ने तो उच्च एवं तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए न केवल सरकार को घेर लिया है, बल्कि अंदर की जानकारी का भी खुलासा किया है जिसके तहत कहा गया है कि स्तर एवं गुणवत्ता के आभाव का ही नतीजा है कि लाखों रुपए पढ़ाई में फूंकने के बाद इंजीनियरों व स्नातकों को नौकरियां नहीं मिल रही हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि इन कालेजों में अच्छे संकायों की कमी है, इसलिए छात्रों को वह ज्ञान नहीं मिल पाता जो उन्हें चाहिए। हां उन्हें डिग्री जरूर मिल जाती है जबकि कुछ समय पहले तक किसी भी स्नातक या इंजीनियर को हाथों हाथ नौकरी में ले लिया जाता था और उसकी बेहतर सेवाओं के चलते कुछ समय बाद ही उस इंजीनियर को तरक्की मिलने लगती थी, मगर आज यह स्थिति नहीं है, क्योंकि इन कालेजों से निकलने वाले स्नातकों से जो उम्मीदें एक नियोजक को होती है उन्हें वे पूरा नहीं कर पाते। फिक्की के पत्र में कहा गया है कि उच्च शिक्षा के गिरते स्तर के लिए सरकार भी जिम्मेदार है, क्योंकि जहां एक तरफ नए कालेज नहीं खुल रहे है, वहीं दूसरी तरफ जो पहले से कालेज हैं उनको नई तकनीकों से जोड़ा नहीं जा रहा है। फिक्की ने अपने पत्र की एक कापी मानव संसाधन विकास मंत्रालय की संसदीय समिति के अध्यक्ष आस्कर फर्नाडिज को भी भेजी है और मांग की है कि इस संबंध में संसद में चार विधेयक लंबित हैं उन्हें आगामी सत्र में पारित करवा कर उच्च शिक्षा के लिए व्यापक कार्यक्रम बनाया जाए। भारतीय श्रम रिपोर्ट 2007 का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इस रिपोर्ट में व्यापक अध्ययन एवं सव्रे के बाद दावा किया गया था कि 57 प्रतिशत उच्च शिक्षा प्राप्त युवा उम्मीदों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। बावजूद इसके केंद्र सरकार ने श्रम रिपोर्ट पर कोई ध्यान नहीं दिया अन्यथा उच्च शिक्षा से जुड़े चार-चार विधेयक संसद में पारित होने के लिए लंबित न पड़े होते। शिक्षा से जुड़े तो कई विधेयक हैं, मगर उच्च शिक्षा में सुधार लाने के लिए राष्टीय उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान विधेयक, राष्ट्रीय उच्च शिक्षण संस्थान अधिमान्यता नियंतण्रप्राधिकरण विधेयक, विदेशी शिक्षा संस्थान विधेयक एवं मेडिकल, तकनीकी व विविद्यालय कदाचार विधेयक प्रमुख रूप से लंबित हैं(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,18.6.1)।

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