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26 जून 2011

डीयूःचार दिन तक लगावाए चक्कर, और फिर नहीं दिया दाखिला

.कॉलेजों के अड़ियल रवैये के आगे दाखिले की दौड़ में छात्र पस्त होते नजर आ रहे हैं। किस तरह से चार दिन का समय भी कम पड़ता है, इसका उदाहरण रामजस कॉलेज में दाखिले के लिए पहुंचे बादल चौधरी बने।

जयपुर राजस्थान से दूसरी कटऑफ में ओबीसी कोटे के तहत दाखिले के लिए पहुंचा यह छात्र दस्तावेजों की बानगी में कुछ ऐसा उलझा कि शनिवार शाम 4 बजे तक कॉलेज में चली दाखिले की खींचतान के बावजूद उसे बैरंग लौटा दिया गया।

बादल चौधरी दूसरी कटऑफ में रामजस कॉलेज के बी.ए प्रोग्राम में दाखिले के लिए 22 जून को कॉलेज पहुंचा। यहां पहुंचकर उसे पता चला कि बिना चरित्र प्रमाण पत्र के उसे दाखिला नहीं मिलेगा सो वह अगले दिन स्टॉम्प पेपर पर इसे बनवाकर पहुंचा। अब जबकि दाखिला का दूसरा दिन था तो उसे कहा गया कि माइग्रेशन सर्टिफिकेट दाखिले के लिए चाहिए होगा, सो उसे ले आएं।

बादल ने बताया कि कॉलेज की इस मांग को देखते हुए वह दाखिले के तीसरे दिन अजमेर जाकर अपना माइग्रेशन सर्टिफिकेट लेकर पहुंचा अब जबकि चौथे दिन यानी शनिवार सुबह वह दाखिला कराने आया तो पता चला कि प्रोविजनल सर्टिफिकेट को लेकर कॉलेज ने दाखिले से इंकार कर दिया।

बादल ने बताया कि इस दौरान उनसे दो फॉर्म भी भरवा लिए गए और जब मामला ग्रीवांस कमेटी के पास पहुंचे तो दोपहर 4 बजे तक चली लम्बी चर्चा के बाद एडमिशन कमेटी ने उन्हें पर्याप्त दस्तावेज न होने के चलते लौटा दिया।


इस बारे में जब कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. राजेन्द्र प्रसद से पूछा गया तो उनका कहना था कि छात्र को दाखिला देने की तमाम सम्भावनओं पर विचार किया गया है लेकिन चूंकि उसके पास जरूरी दस्तावेज ही मौजूद नहीं थे सो कैसे उसे दाखिला दिया जा सकता था। 
डॉ. प्रसाद ने बताया कि डीन छात्र कल्याण कार्यालय से मिले आदेश के तहत स्पष्ट किया गया है कि अंडरटेकिंग लेकर हम केवल मार्क्‍सशीट की इंटरनेट कॉपी को स्वीकार कर सकते हैं। ऐसे में प्रोविजनल सर्टिफिकेट के मोर्चे पर राहत कैसे दी जा सकती थी सो छात्र को इंकार किया गया और यह फै सला एडमिशन कमेटी में चर्चा के बाद लिया गया।

अभिभावक नहीं तो दाखिला नहीं

कहीं दस्तावेजों की मार तो कहीं अभिभावकों का दाखिले के दौरान छात्रा के साथ मौजूद न रहने के चलते दाखिले से इंकार कि या जा रहा है। डीयू के आचार्य नरेन्द्र देव कॉलेज में अभिभावकों की गैर मौजूदगी के चलते दाखिले से वंचित रखी गई एक छात्र स्वाति ने बताया कि तमाम अनिवार्यताओं को पूरा किए बिना उन्हें आखिरी दिन दाखिला देने से इंकार कर दिया गया। 

स्वाति ने बताया कि कॉलेज प्रिंसिपल उनके अभिभावकों से मिलना चाहती थी और चूंकि उनके अभिभावक उनके साथ नहीं गए थे सो उन्हें दाखिला देने से इंकार कर दिया गया।

इस बाबत जब कॉलेज प्रिंसिपल डॉ.सावित्री सिंह से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि दाखिले के दौरान कई जगह अभिभावकों के हस्ताक्षर अनिवार्य ऐसे में जब अभिभावक होंगे ही नहीं तो दाखिला कैसे हो सकता है। कॉलेज के इस रवैये ने कॉलेज दाखिलों के दौरान दिल्ली में अंजाम दी जाने वाली नर्सरी की दाखिला प्रक्रिया की यादे ताजा कर दी(दैनिक भास्कर,दिल्ली,26.6.11)।

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