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26 जून 2011

डीएवी को गढ़वाल विवि से हटाने की मांग

गढ़वाल विविद्यालय व डीएवी के छात्रों के बीच परीक्षा परिणाम घोषित करने को लेकर उपजा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। छात्र नेताओं ने अब डीएवी पीजी कालेज को गढ़वाल विविद्यालय से हटाकर किसी अन्य विवि से सम्बद्ध करने की मांग की है। इसके साथ ही छात्र नेताओं ने जिलाधिकारी से वार्ता कर छात्र के परीक्षा परिणाम घोषित करने के लिए हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। गढ़वाल विवि के कुलपति द्वारा विलम्ब परीक्षा फार्म जमा करने वाले करीब 3200 छात्र-छात्राओं का परीक्षा परिणाम घोषित न करने के निर्णय को लेकर शनिवार को छात्र नेताओं का प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी से मिला। छात्र नेताओं ने कहा कि गढ़वाल विवि द्वारा परीक्षा फार्म जमा करने की कोई अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी। विवि ने मनमानी तरीके से परीक्षा परिणाम घोषित न करने के निर्णय से 3200 छात्र-छात्राओं का भविष्य में खतरे में पड़ गया है। उन्होंने छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी से कुलपति से वार्ता करने की मांग की। जिलाधिकारी ने छात्र नेताओं को विवाद को सुलझाने के लिए कुलपति से वार्ता करने का आासन दिया। प्रतिनिधिमंडल में छात्र संघ अध्यक्ष अंशुल चावला, पूर्व अध्यक्ष राहुल रावत, पूर्व महासचिव अनिल तोमर, नितिन जोशी, महेन्द्र पाल माही, मोहित शर्मा, देवेन्द्र भंडारी, आशीष रावत, अभिषेक भंडारी, अजेन्द्र अंथवाल, अंकित जोशी, महेश जगूड़ी, शंकर रावत, सिद्धार्थ राणा, विक्रांत उपाध्याय, कुलदीप नेगी, देवेन्द्र बिष्ट, भगवती प्रसाद, शांति प्रसाद, रमन व मनीष रावत आदि शामिल थे। इससे पूर्व डीएवी परिसर में छात्र संगठनों व नेताओं की बैठक हुई जिसमें सर्वसम्मति से डीएवी कालेज को गढ़वाल विवि की सम्बद्धता से पृथक करने की मांग की गई। छात्र नेताओं ने कहा कि गढ़वाल विवि अक्सर डीएवी कालेज के प्रति दुर्भावनापूर्ण सौतेला व्यवहार करता है। इसलिए डीएवी को किसी अन्य विवि से सम्बद्ध किया जाए। विवि का मुख्यालय देहरादून से दूर होने के कारण छात्रों को समस्याओं के समाधान के लिए तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विवि की गलतियों के बावजूद उन्हें श्रीनगर के चक्कर काटने पड़ते हैं(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,26.6.11)।

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