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16 जून 2011

डीयू में दाखिलाःआधे छात्रों को मिलती है मायूसी

डीयू में स्नातक की करीब 54 हजार सीटें और करीब 1.25 लाख छात्र दाखिले के लिए आवेदन करते हैं। मतलब हर साल दाखिले के लिए आवेदन करने वाले छात्रों में आधे से भी कम को दाखिला मिल पाता है। कुलपति प्रो. दिनेश सिंह का कहना है कि समस्या के समाधान के लिए नए विश्वविद्यालय खोलने होंगे। दैनिक जागरण से बातचीत में प्रो. दिनेश सिंह ने कहा कि डीयू के 64 कॉलेजों में स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों की पढ़ाई होती है। अच्छी शिक्षा की चाह में देश भर के युवा डीयू में दाखिले के लिए आवेदन करते हैं। वर्ष 2007 में डीयू के स्नातक कोर्सो में सीटों की संख्या करीब 43 हजार थी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए गत तीन वर्षो में 9-9 फीसदी सीटें बढ़ाई गई। इससे अब सीटों की संख्या बढ़कर 54 हजार हो गई है। उन्होंने कहा कि अधिकांश कॉलेजों को ढांचागत विकास के लिए विभिन्न विभागों से अनापत्ति नहीं मिल रही। किसी कॉलेज का नक्शा पास नहीं हो रहा, तो कहीं पर पुरातत्व विभाग की आपत्ति है। प्राचार्य इस बात को लेकर परेशान हैं कि अगर सीटों से ज्यादा दाखिले हो गए तो छात्रों को बिठाएंगे कहां? प्रो. सिंह ने कहा कि समस्या के समाधान के लिए सरकार को दिल्ली, एनसीआर और अन्य राज्यों में नए विश्वविद्यालय खोलने होंगे। जिससे वहां के छात्र यहां दाखिले के लिए परेशान न हों। 2007 में ज्ञान आयोग और मोइली रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र है कि देश में उच्च शिक्षा के ढांचागत विकास के लिए नए विश्वविद्यालय खोलने अत्यंत आवश्यक हैं(एस के गुप्ता,दैनिक जागरण,दिल्ली,16.6.11)।

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