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30 जून 2011

राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विश्वविद्यालयःकॉलेज बढ़े, नतीजे घटे

राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विश्वविद्यालय से संबद्ध कालेजों के मौजूदा नतीजे देखने के बाद ऊंची दुकान फीके पकवान वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। रेवड़ी की तरह बांटे गए कालेजों के दुष्परिणाम एक साल में ही सामने आ गए हैं।

हाल ही में रातुम विश्वविद्यालय द्वारा जारी ग्रीष्मकालीन परीक्षाओं के नतीजों से न सिर्फ विवि की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है, बल्कि कालेजों के दावों की कलई खुल गई है। पिछले तीन वर्षो के नतीजों को देखें तो इस वर्ष के नतीजों में सबसे अधिक गिरावट आयी है।

विवि द्वारा नतीजों के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं, जिससे विद्यार्थी और उनके पालक अभी तक इस सच्चई से अनजान हैं। भास्कर की पड़ताल में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक विवि की बीए, बी.कॉम, बी.एससी, बीसीसीए, बीबीए और बीसीए प्रथम वर्ष में से किसी भी पाठच्यक्रम की परीक्षा में 20 फीसदी भी विद्यार्थी उत्तीर्ण नहीं हो पाए हैं। इन सभी पाठच्यक्रमों के नतीजे 20 फीसदी से कम हैं।


किसी पाठच्यक्रम के नतीजे 14 फीसदी तो किसी पाठच्यक्रम के नतीजे 17 फीसदी पर आकर अटक गए हैं। गत वर्ष के नतीजों के मुकाबले इस बार नतीजे 4 फीसदी तक कम हुए हैं। गत वर्ष बीबीए और बीसीए को छोड़ शेष सभी गैर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं के नतीजे 25 फीसदी तक आए थे। 
इस बार इन पाठच्यक्रमों के नतीजों में वृद्धि नहीं हो पाई है। खास बात यह है कि पिछले दो वर्षों से बीबीए, बीसीसीए और बीसीए पाठच्यक्रमों के नाम से विद्यार्थियों को लूटा जा रहा है। 

नतीजे कम आने का कारण

पाठच्यक्रमों के नतीजे कम आने का प्रमुख कारण कालेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की भारी कमी होना है। विवि प्रशासन को इस बात का पूरा संज्ञान है कि किन कालेजों में कितने शिक्षक हैं? कितने शिक्षकों की आवश्यकता है? बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 

विवि की गत वर्ष हुई सीनेट सभा में परीक्षा विभाग की एक रिपोर्ट पेश की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक विवि से संबद्ध बीबीए पाठच्यक्रम संचालित करने वाले 155 महाविद्यालयों में 640 शिक्षकों की जरूरत है। एमबीए के 52 कालेज हैं। 

इन कालेजों में 502 शिक्षकों की जरूरत है। लेकिन इसमें से महज 35 पदों को भरा गया है। इससे भी बुरे हाल बीएमसी और एमसीएम पाठ्यक्रमों के हैं। बीएमसी पाठच्यक्रम संचालित करने वाले 15 महाविद्यालयों में 64 शिक्षकों के पदों में से एक पद भरा गया है। शेष 63 कालेजों में एक भी शिक्षक नहीं हैं। 

एमसीएम पाठ्यक्रम संचालित करने वाले 49 महाविद्यालयों में 296 शिक्षकों की जरूरत है। इसमें से 293 पद खाली पड़े हैं। इसके अलावा कला, वाणिज्य तथा विज्ञान संकाय के तहत शुरू किए गए अन्य पाठच्यक्रमों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की स्थिति का भी खुलासा किया गया था। 

विवि प्रशासन मौन

रिपोर्ट के खुलासे के बाद तब भी विवि प्रशासन पूरी तरह से चुप था और आज भी वही स्थिति है। नतीजों के आंकड़ों से पूरी तरह से वाकिफ होने के बावजूद अभी तक विवि प्रशासन ने नतीजों के कम आने पर कालेजों के लिए कोई ताकीद नहीं की है। 

जांच करेंगे 

नतीजे कम आने के कारणों की जांच करेंगे। जांच के बाद जो दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई करेंगे। 
डा. महेश कुमार येनकी, विवि, कुलसचिव(आशीष दुबे,दैनिक भास्कर,नागपुर,30.6.11)

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