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28 जून 2011

डीयूःएडमिशन के लिए सिफारिशों का सिलसिला शुरू

डीयू कैम्पस कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए केवल विद्यार्थी ही कैम्पस में चक्कर नहीं लगा रहे हैं, बल्कि कुछ खास लोग भी इन दिनों कैम्पस की परिक्रमा लगाते देखे जा सकते हैं। इन दिनों लाल और नीली बत्तियों वाले वाहन कैम्पस के खूब चक्कर काट रहे हैं। नतीजतन डीयू के तकरीबन सभी कॉलेज खासकर कैम्पस कॉलेजों के प्राचायरे का रुतबा इन दिनों सातवें आसमान पर पहुंच गया है। इतना ही नहीं कालेजों में प्राचायरे के मोबाइल और कार्यालयों की फोन की घंटियां भी पहले से अधिक बजने लगी हैं। सभी लोग कॉलेज प्राचार्य और डीयू अफसरों के पास फोन कर रहे हैं। ऐसे लोगों को प्राचार्य नियम के तहत ही जवाब दे रहे हैं। डीयू कॉलेजों में दाखिले लेने के लिए विद्यार्थी और उनके अभिभावकऔर रिश्तेदार काफी जद्दोजहद कर रहे हैं। कट ऑफ में आने वाले विद्यार्थी तो यहां दाखिला लेकर घर चले जाते हैं। लेकिन असली में दाखिले के लिए सबसे ज्यादा जद्दोजहद विद्यार्थियों से जुड़े ओहदेदार कर रहे, जो कि किसी राजनीतिक स्तर पर या फिर सरकारी स्तर पर उच्च पद पर हैं। इसका कारण यह भी है कि कट ऑफ न आने पर खास लोग अपने बच्चों के लिए अपने तरीके से प्रयास करने में लगे हैं। यही कारण है कि इन दिनों लाल और नीली बत्तियों की गाड़ियां कैम्पस में अधिक नजर आने लगी हैं। विविद्यालय सूत्रों के अनुसार जिन विद्यार्थियों का फीसद अच्छा है और कटऑफ के हिसाब से उन्हें दाखिला मिलना निश्चित है उनके लिए तो कोई परेशानी नहीं हैं लेकिन जिन विद्यार्थियों का फीसद थोड़ा कम है और या फिर उन्हें मनपसंद कोर्स या कॉलेज में दाखिला लेना चाहते हैं तो ऐसे विद्यार्थियों से जुड़े बड़े लोग यहां इन दिनों खूब नजर आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सेंट स्टीफंस कॉलेज, किरोड़ीमल कॉलेज, हिन्दू कॉलेज, हंसराज कॉलेज, मोतीलाल नेहरु कॉलेज, सत्यवती कॉलेज और खालसा कॉलेज समेत सभी कॉलेजों में आ रहे। बताया जाता है कि ज्यादातर प्राचार्य ऐसे लोगों को चौथी कट ऑफ तक का इंतजार करने को कहकर बच रहे हैं। डीयू के खालसा कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जसविन्दर सिंह कहते हैं कि फोन की संख्या बताना तो मुश्किल है, लेकिन सभी को स्पष्ट कर दिया जाता है कि कट ऑफ के साथ कॉलेज कोई समझौता नहीं कर सकता। सत्यवती कॉलेज के प्राचार्य डॉ शम्सुल इस्लाम कहते हैं रोजाना 10-12 बड़े अफसरों और नेताओं का फोन आ रहा है। उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि स्थानीय पुलिस की ओर से किसी तरह हस्तक्षेप नहीं हो रहा है। मोतीलाल के डॉ. बीके शर्मा के पास भी काफी खास लोगों के फोन फोन आ रहे हैं। डा. शर्मा ने कहा कि हम तो काफी सम्मान देते हुए अपनी मजबूरी स्पष्ट कर दे रहे हैं कि कट ऑफ के सामने हम कोई भी भेदभाव नहीं कर सकते(राकेश नाथ,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,27.6.11)।

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