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22 जून 2011

फर्जी सेना भर्ती रैकेट का पर्दाफाश, चार धरे

पुलिस ने एक आर्मी भर्ती रैकेट चलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह के सदस्य मेजर, सुबेदार व डाक्टर बन आर्मी में भर्ती होने का झांसा देकर देश भर के युवाओं को ठगते थे। क्राइम ब्रांच ने इस मामले में सेना के दो सेवानिवृत कर्मचारियों सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान राम बाबू शुक्ला (45), मान सिंह (43), संजय मिश्रा (33) व शिव नारायण (40) के रूप में हुई है। सभी यूपी के फतेहपुर जिले के रहने वाले हैं। गिरोह के सदस्य भर्ती के लिए उम्मीदवारों का प्रवेश पत्र बना लिखित परीक्षा व उनका साक्षात्कार लेते थे। एक व्यक्ति डाक्टर बन उनका मेडिकल जांच भी करता था। सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद आरोपी लोगों से संपर्क तोड़ देते थे। गिरोह का सरगना राम बाबू शुक्ला है। वह छह वर्षो से गिरोह चला रहा है। वे अब तक 200 से ज्यादा युवकों को नौकरी दिलाने के नाम पर ठग चुके हैं। दिल्ली पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) अशोक चांद ने बताया कि दिल्ली में डीटीसी में सहायक टिकट इंस्पेक्टर के रूप में कार्यरत ईश्वर सिंह ने 15 जून को पुलिस में ठगी की शिकायत दर्ज कराई। उसने पुलिस को बताया कि उनके तीन भतीजों को आर्मी में भर्ती कराने के नाम पर उनसे 11 लाख रुपया ठग लिए। मुकदमा दर्ज कर अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त जॉय टर्की ने 16 जून को पीतमपुरा के समीप से राम बाबू शुक्ला को धर दबोचा। उसके पास से आर्मी मेडिकल कोर की मेजर की वर्दी सहित 15 उम्मीदवारों के मूल प्रमाणपत्र बरामद हुए। पुलिस ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के समीप से मान सिंह, संजय मिश्रा व शिव नारायण को भी गिरफ्तार कर लिया। मान सिंह के पास से भी मेजर की वर्दी, 11 उम्मीदवारों के असली सर्टिफिकेट व सेना की 32 खाली उत्तर पुस्तिका बरामद हुई। पूछताछ में पता चला कि वर्ष 1985 में राम बाबू आर्मी में जवान के पद पर नियुक्त हुआ था। वर्ष 2004 में नायक के पद से सेवानिवृत होने के बाद उसने फतेहपुर जिला स्थित हरिहर गंज में सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवकों को प्रशिक्षण देना शुरू किया। बाद में ज्यादा पैसा कमाने के लालच में वह सहयोगियों के साथ फर्जी आर्मी भर्ती रैकेट चलाने लगा। वह खुद को आर्मी का मेजर बता सेना में सुनिश्चित भर्ती का लोगों को झांसा देता था। लोगों उस पर विश्वास करें इसके लिए वह मेजर की वर्दी में मिलता था। बाद में उम्मीदवारों का बकायदा प्रवेश पत्र बनवा उनसे लिखित, मेडिकल परीक्षा व साक्षात्कार भी करवाया जाता था। मान सिंह भी वर्ष 1985 में सेना में जवान के रूप में भर्ती हुआ था। 1990 में स्वास्थ्य कारणों से उसने सेना की नौकरी छोड़ दी थी। वह भी लोगों को खुद को सेना का मेजर बताता था। वह छह वर्षो से गिरोह से जुड़ा हुआ था। आरोपी संजय मिश्रा खुद का परिचय सेना के सूबेदार के रूप देता। संजय मिश्रा सातवीं पास है तथा पंजाब की एक फैक्ट्री में काम करता है। वह उम्मीदवारों का ब्योरा अपने पास रखता था। 12वीं पास व कानपुर में जूते की फैक्ट्री में काम करने वाला शिव नारायण डाक्टर का रोल करता था। वह उम्मीदवारों का फर्जी स्वास्थ्य जांच कर उन्हें मेडिकल रिपोर्ट प्रदान करता था। पुलिस उपायुक्त ने बताया कि राम बाबू शुक्ला उम्मीदवारों का साक्षात्कार लेता था। एक महीने बाद संजय मिश्रा उन उम्मीदवारों को डाक से पत्र भेज सेना में भर्ती के लिए आगरा, भोपाल, गोरखपुर व लखनऊ बुलाता था। वहां पहुंचने पर संजय सभी को फर्जी प्रवेश पत्र देता। शिव नारायण द्वारा उनके चिकित्सकीय जांच पूरी करने के बाद उन्हें खाली उत्तर पुस्तिका दी जाती थी। उसमें उम्मीदवारों को सिर्फ नाम, पता व रोल नंबर इत्यादि लिखने को कहा जाता था। लोगों को बताया जाता था कि विशेषज्ञ द्वारा उत्तर पुस्तिका भर उसे आर्मी भर्ती बोर्ड में जमा कराया जाएगा। जैसे-जैसे प्रक्रिया पूरी होती ठग उम्मीदवारों से पैसे लेते रहते थे। वे एक उम्मीदवार से 2.50 लाख से तीन लाख रुपये वसूलते थे। अंत में लोगों को नियुक्ति पत्र के लिए वाराणसी रेलवे स्टेशन पर बुलाया जाता। वहां उनसे उनके मूल प्रमाण पत्र ले मूवमेंट आर्डर व रेलवे वारंट घर भेजे जाने की बात वापस भेज देते थे। इसके बाद ठग उन लोगों से संपर्क खत्म कर देते थे(दैनिक जागरण,दिल्ली,22.6.11)

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