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23 जून 2011

अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को आरटीई के दायरे से बाहर रखने की मांग

राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के दायरे से अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को बाहर रखने की मांग करते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस ए मुशावरत ने एक सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन में सरकार से संसद के मानसून सत्र में कानून में संशोधन करके अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को इस कानून के दायरे से बाहर रखने की मांग की गई। सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुशावरत के उपाध्यक्ष मौलाना अहमद अली कासमी ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह जल्दी ही अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को आरटीई के दायरे से बाहर रखे। उन्होंने कहा कि इसके लिए कानून में जल्दी ही संशोधन किया जाना चाहिए। इस अवसर पर मुशावरत के दूसरे उपाध्यक्ष मौलाना वली रहमानी ने कहा कि इस संदर्भ में सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस स्पष्ट नहीं हैं। वे आपस में भ्रम पैदा करती हैं। उन्होंने कहा कि मदरसों के साथ अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को आरटीई के दायरे से बाहर रखने की मांग की गई थी। लेकिन गाइडलाइंस में केवल मदरसों और वैदिक पाठशालाओं का ही जिक्र है। इसका यह मतलब है कि अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों पर अब भी आरटीई की तलवार लटकी है। मुशावरत के महासचिव इल्यास मलिक ने कहा कि इस संदर्भ में प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह से एक प्रतिनिधिमंडल भेंट कर चुका है। प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की बात कही थी। लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार पर दबाव बनाया जाए कि वह मानसून सत्र में कानून में संशोधन करे(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,23.6.11)।

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