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19 जून 2011

छात्रों की पसंद बना यूपी बोर्ड

उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद कभी अपनी कठिन पढ़ाई, भारी भरकम पुस्तकों, कठिन प्रश्नपत्र और खराब परिणामों के लिए जाना जाता था। कभी रातों की नींद उड़ाने वाला यह बोर्ड अब छात्रों को लुभाने लगा है। छात्रों को बोर्ड परीक्षा देने से डर नहीं लगता। कम से कम आंकड़े तो यही गवाही दे रहे हैं। पढ़ाई व प्रश्नपत्रों के स्तर में चाहे जो गिरावट हुई हो, परीक्षार्थियों की संख्या में इजाफा हुआ है। पूर्व वर्षो के मुकाबले इस बार परीक्षा छोड़ने वाले भी घट गए हैं। यूपी बोर्ड ने पिछले कुछ वर्षो में अपनी प्रणाली में काफी बदलाव किए हैं। पिछले वर्षो में हर विषय का एक ही प्रश्नपत्र रखने, पाठ्यक्रम घटाने, मूल्यांकन में स्टेप मार्किग प्रणाली लागू करने की व्यवस्था की गई है। इन बदलावों व छूट ने माध्यमिक शिक्षा परिषद का क्रेज बढ़ा दिया है। स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2010 में हाईस्कूल में 3640110 छात्र पंजीकृत थे। इनमें से 334537 ने परीक्षा छोड़ दी थी। यह पंजीकृत छात्रों का कुल 9.2 प्रतिशत था। इस साल इंटर में 1536944 छात्र पंजीकृत थे। इनमें 58909 ने परीक्षा छोड़ दी। । यानि कुल मिलाकर वर्ष 2010 में 5177059 पंजीकृत छात्रों में 13 प्रतिशत ने परीक्षा छोड़ी। 2011 में हाईस्कूल में कुल 3659180 पंजीकृत थे। इनमें 420237 नेपरीक्षा छोड़ दी। इस साल इंटर में 2063015 छात्र पंजीकृत थे। इनमें 78947 ने परीक्षा छोड़ी। यह 3.8 प्रतिशत रहा। यानि वर्ष 2011 में कुल 5722195 पंजीकृत छात्रों में 15.28 फीसदी छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी। 2010 के मुकाबले 2011 में कुल पंजीकृत छात्र संख्या में 10.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ जबकि परीक्षा छोड़ने वालों की संख्या इस बार महज 2.28 प्रतिशत ही बढ़ी है। परीक्षा छोड़ने वालों का यह अनुपात पिछले सालों के मुकाबले खासा कम है। 2007 में कुल दस प्रतिशत ने जबकि 2008 में 13.7 प्रतिशत ने परीक्षा छोड़ी थी। यानि अंतर 3.7 प्रतिशत का था। जाहिर है परिषद की सुविधाएं अब हाईस्कूल-इंटर उत्तीर्ण करने की इच्छा रखने वाले छात्रों को लुभा रही हैं(एलएन त्रिपाठी,दैनिक जागरण,वाराणसी,18.6.11)।

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