अगले सत्र से गांवों के स्कूल और पंचायत भवनों में क्लासेस लगेंगी। पहली-दूसरी की तरह ही इन क्लासेस में ‘अ अनार का.’, ‘आ आम का..’ ही पढ़ाया जाएगा। फर्क सिर्फ इतना होगा कि पढ़ने वाले बुजुर्ग होंगे और पढ़ाने वाले बच्चे।
दरअसल साक्षर भारत कार्यक्रम में यह योजना तैयार की गई है, जिसके जरिए 9वीं से 12वीं तक के बच्चे इन कक्षाओं में बड़े-बुजुर्गो को पढ़ाएंगे। इसके एवज में इन बच्चों को परीक्षाओं में 5 से 10 नंबर तक बोनस अंक दिया जाएगा।
गांवों में पढ़ने वाले बच्चों को अपने ग्राम पंचायत क्षेत्र की महिलाओं व पुरुषों को साक्षर करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। ये बच्चे दिन में स्कूल में पढ़ाई करेंगे। इसके बाद वे शाम को बड़े-बुजुर्गो को पढ़ाने के लिए अपनी सुविधा के अनुसार समय निकालेंगे। इसके लिए ग्राम पंचायत भवन या गांव के ही स्कूल में क्लास लगाने की व्यवस्था की जा रही है।
साक्षर भारत कार्यक्रम के अधिकारियों का कहना है कि साक्षर भारत योजना के तहत लोगों को साक्षर करने वालों की संख्या काफी ज्यादा है। इसलिए स्कूली बच्चों को भी इस अभियान में शामिल किए जाने का फैसला लिया गया है।
इससे बच्चों में सामाजिक सहभागिता की भावना पैदा होगी और उनके व्यक्तित्व का विकास होगा। समिति ने निर्णय लेने के बाद इस पर सहमति के लिए माध्यमिक शिक्षा मंडल को पत्र लिखा है।
गांव के लोगों को साक्षर करने के बदले स्कूली बच्चों को मुख्य परीक्षा में बोनस अंक देने का फैसला किया गया है। इसमें 9वीं और 11वीं के बच्चों को 5-5 नंबर और 10वीं और 12वीं के बच्चों को 10-10 नंबर दिए जाएंगे।
रजिस्टर में की जाएगी एंट्री
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पढ़ाने के लिए बच्चे जा रहे हैं या नहीं, यह तय करने के लिए हर दिन हाजिरी ली जाएगी। यह रिपोर्ट माध्यमिक शिक्षा मंडल के मुख्यालय भेजी जाएगी। यदि कोई बच्चा पढ़ाने में कोताही बरतता है या लगातार अनुपस्थित रहता है तो उसके बोनस अंक की पात्रता खत्म कर दी जाएगी।
"एक्जीक्यूटिव कमेटी ने बोनस अंक देने का निर्णय लिया है। पत्र माशिमं को भेज दिया गया है। नए सत्र से यह व्यवस्था लागू होगी।"
प्रशांत पाण्डेय, असिस्टेंट डायरेक्टर, साक्षर भारत कार्यक्रम.
कहां, कैसे होगी पढ़ाई
निरक्षरों को साक्षर करने के लिए प्रत्येक 10 लोगों के लिए एक केंद्र बनाया जाएगा। इन्हें पढ़ाने के लिए गांव के ही शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी। इनके अलावा अब स्कूली बच्चों को भी प्रोत्साहित करने की योजना है।
ऐसे चलाया जाएगा कार्यक्रम
-सर्वे कर निरक्षरों की पहचान
-तीन माह में 300 घंटे की पढ़ाई
- लोगों को पत्र लिखना सिखाना
-छोटे-छोटे प्रश्न व गुणा भाग सिखाना
-बिलासपुर जिले के 10 ब्लाकों की 898 ग्राम पंचायतें शामिल की गईं योजना में(किशोर सिंह,दैनिक भास्कर,बिलासपुर,29.6.11)।
सराहनीय प्रयास.अन्य क्षत्रों में भी ऐसे कार्यक्रम चलाये जाने चाहिए.
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