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18 जून 2011

स्वास्थ्य मंत्रालय ने यौन शिक्षा पर तैयार किया नया पाठ्यक्रम

स्कूलों में यौन शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के मकसद से स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक कार्यक्रम तैयार किया है। शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के 11वीं एवं 12वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं से विस्तृत बात करने के बाद यौन शिक्षा के छह अध्यायों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। माना जा रहा है कि यदि कोई अवरोध सामने नहीं आया तो इसे राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की उच्चतर माध्यमिक कि पुस्तकों में कुछ अध्यायों को जोड़ जा सकता है। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने अभी इस पाठ्यक्रम को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पास नहीं भेजा है, मगर राष्ट्रीय एड्स नियंतण्रसंगठन (नाको) और मानव संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों के बीच पिछले दो वर्षो से इस दिशा में विचार-विमर्श जारी है। इस बात पर सहमति बन गई है कि स्कूलों में 11वीं और 12वीं कक्षा में यौन शिक्षा को पढ़ाई का हिस्सा बनाया जा सकता है क्योंकि इस समय प्राइमरी शिक्षा के पाठ्यक्रम पूरा होने में कई वर्ष ले लेते हैं, जिसकी वजह से उच्चतर माध्यमिक की कक्षा में आते-आते छात्र बालिग हो जाते हैं। दो वर्ष पहले भी यौन शिक्षा को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए केंद्र सरकार ने कुछ कदम उठाए थे जिसके तहत एक पुस्तक भी आई थी। मगर आम जनता की रायशुमारी न बन पाने के कारण यौन शिक्षा को लागू करने का सलीका खोजने की बात हुई थी। कई राज्य सरकारों ने भी केंद्र के इस प्रस्ताव को न मानने का फैसला लिया था। लिहाजा, केंद्र को अपने कदम पीछे करने पड़े थे। अब मंत्रालय के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग ने यौन शिक्षा का एक ऐसा पाठ्यक्रम तैयार करवाया है जिसमें उसी आयु वर्ग के छात्रों एवं छात्राओं की राय भी ली गई है जिनके बीच यौन शिक्षा को पढ़वाना है। शिक्षकों से भी पूछा गया है कि यौन शिक्षा के लिए क्या कदम उठाए जाएं और अभिभावकों से भी राय ली गई है कि वे अपने उन बच्चों को यौन शिक्षा देना चाहते हैं कि नहीं जो 11वीं या 12वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे हैं। इस तरह से तीन वर्गों से अलग- अलग बातचीत के बाद राष्ट्रीय एड्स अनुसंधान संस्थान, पुणो ने इसी वर्ष यौन शिक्षा के 6 अध्यायों को अंतिम रूप दे दिया है। इसका उल्लेख विभाग ने वाषिर्क रिपोर्ट में भी किया है। इन अध्यायों को एक साथ जोड़ कर उसे ‘किशोर प्रजनन एवं सेक्स हेल्थ शिक्षा’ शीषर्क से जोड़ा गया है। संस्थान के वैज्ञानिकों से बात करने पर पता चला कि इस बार यौन शिक्षा के इस पाठ्यक्रम में बोलचाल की भाषा को सभ्य बनाने के साथ-साथ यौन अंगों के पर्यायवाची शब्दों का नए तरीके से प्रयोग किया गया है ताकि शिक्षक संयमित तरीके से बेहतर जानकारी छात्रों को दे सकें और यौन शिक्षा की पढ़ाई पर अभिभावकों में सहमति बन सके(ज्ञानेंद्र सिंह,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,18.6.11)।

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