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23 जून 2011

ब्याजमुक्त मिलेगा एजुकेशन लोन

मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने भारतीय बैंक संघ से बातचीत के बाद शिक्षा कर्ज को ब्याज मुक्त कर दिया है। अब बैंकों को कर्ज के ब्याज की धनराशि कर्जदार के बजाए मानव संसाधन मंत्रालय अदा करेगा। मगर यह लाभ उन्हीं छात्रों को मिलेगा जिनके अभिभावकों की सालाना आय साढ़े चार लाख रुपए से अधिक नहीं होगा। आगामी सत्र के लिए आवेदन की अंतिम तारीख 20 जुलाई तय की गई है। कर्ज की राशि 10 लाख से अधिक नहीं होगी और यह कर्ज केवल पेशेवर शिक्षा जैसे मेडिकल या इंजीनियरिंग के लिए ही मिलेगा। उल्लेखनीय है कि शिक्षा कर्ज की योजना तो 10 वर्षो से चल रही थी मगर उसमें ब्याज देना पड़ता था। यह ब्याज दर भी कार के कर्ज से ज्यादा थी। बावजूद इसके गत वर्ष शिक्षा कर्ज लेने वालों की संख्या 19 लाख थी। मगर अब माना जा रहा है कि इस वर्ष शिक्षा कर्ज लेने वालों की संख्या बढ़ जाएगी। हालांकि, गत वर्ष यह योजना लागू कर दी गई थी मगर प्रचार-प्रसार ज्यादा न होने और राज्य सरकारों को जानकारी न हो पाने के कारण इसका फायदा लोगों को नहीं मिल सका था। इसलिए मंत्रालय ने सभी राज्यों को भी इस योजना में सहयोग करने के लिए लिखा है ताकि शिक्षा के लिए जरूरतमंद लोगों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके। मंत्रालय और भारतीय बैंक संघ से बातचीत करने के बाद एक कार्ययोजना को गत वर्ष अंतिम रूप दे दिया गया था जिसके तहत राष्ट्रीयकृत बैंकों को शिक्षा कर्ज के ब्याज की राशि पर अनुदान दिया जाएगा। केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ उन्हीं छात्रों को मिलेगा जो आय प्रमाण पत्र प्रस्तुत करेंगे। आय निर्धारण का काम बैंकों से नहीं कराया जाएगा ताकि आय निर्धारण में कोई हेराफेरी न हो सके। इस लिए मंत्रालय ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिख कर कहा है कि आय प्रमाण पत्र जारी करने के लिए वे हर जिले में ऐसी कुछ व्यवस्था करे जिससे ब्लाक या तहसील स्तर पर आय प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी को नामित किया जा सके। इस योजना में केनरा बैंक को नोडल बैंक बनाया गया है। योजना की पूरी जानकारी मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वेबसाइट में भी डाल दी गई है। मंत्रालय ने चालू शिक्षा कर्ज योजना से उक्त योजना को जोड़ दिया है जो पहले से ही संचालित है। सारे नियम कायदे पहले से जारी शिक्ष कर्ज योजना जैसे ही होंगे। फर्क सिर्फ इतना है कि इसमें आय का प्रमाण राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित अधिकारियों को जारी करना पड़ेगा। यह कर्ज उन्हीं संस्थानों या कालेजों में पढ़ने वाले छात्रों को मिलेगा जो विविद्यालय व बोर्ड से मान्यता प्राप्त होना चाहिए। आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए बनाई गई इस योजना में कर्ज को चुकाने के लिए भी उदार नीति बनाई गई है जिसके तहत पढ़ाई पूरी करने के बाद यदि छात्र को रोजगार मिल जाता है तो नियुक्ति के छह माह बाद से कर्ज की किस्तें अदा करनी होंगी। यदि किसी मामले में पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्र नौकरी नहीं करता है तो सरकार यह मान लेगी कि वह निजी काम या प्रैक्टिस कर रहा है। इस तरह के लोगों से पढ़ाई पूरी करने के दिन से एक वर्ष बाद कर्ज की किस्तें ली जाएंगी। जिन छात्रों की पढ़ाई बीच में छूट जाएगी, उन्हें अपने कर्ज में ब्याज चुकाना पड़ेगा। मंत्रालय ने राज्यों से आग्रह किया है कि इस योजना को अपने राज्यों में प्रचारित करे और जिन राज्यों में अभी तक अधिसूचना जारी नहीं की है, वे कर दें क्योंकि 28 जुलाई के बाद आवेदन नहीं लिए जाएंगे। बैंक संघ ने भी सभी बैंकों को आगाह किया है कि मंत्रालय से हुए समझौते के तहत कोई भी बैंक उक्त योजना के तहत कर्ज देने से इनकार नहीं करेगा(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,23.6.11)।

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