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29 जून 2011

फर्ज़ी जाति प्रमाण-पत्र का मामलाःएससी/एसटी सेल के कर्मियों पर गिर सकती है गाज!

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर डीयू के कॉलेजों में एडमिशन दिलाने के मामले में डीयू के एससी/एसटी सेल के कर्मियों पर गाज गिर सकती है। क्राइम ब्रांच की टीम ने मंगलवार को भी एससी/एसटी सेल के दो कर्मियों से गहन पूछताछ की है। इनमें एक क्लर्क तथा दूसरा चपरासी शामिल है। सूत्रों का कहना है कि दोनों कर्मियों ने पूछताछ में स्वीकार किया है कि उनका फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर एडमिशन दिलाने वाले हिमांशु गुप्ता से काफी पुराना संपर्क है और उन लोगों ने एडमिशन दिलाने में भी उसकी खासी मदद की थी। इस खुलासे के बाद क्राइम ब्रांच ने यह साफ कर दिया है कि फर्जीवाड़े के इस रैकेट में डीयू कर्मिर्यों का स्पष्ट तौर पर हाथ है हालांकि अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि एससी/एसटी सेल के सिर्फ दो कर्मी ही इस रैकेट को चलाने वाले हिमांशु गुप्ता की मदद कर रहे थे या फिर कुछ अन्य डीयू कर्मी इस गोरखधंधे में शामिल थे। इस बीच पुलिस टीम ने महरौली तथा गाजियाबाद के तहसीलदार कार्यालय पर भी छापेमारी की है, जहां से कम्प्यूटर व हार्ड डिस्क जब्त किया गया। फिलहाल पुलिस को गाजियाबाद के तहसीलदार कार्यालय से जाति प्रमाण पत्र बनवाने वाले सतीश नामक कर्मी के बारे में कोई सुराग नहीं मिल पाया है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर राजधानी के प्रतिष्ठित कॉलेजों में एडमिशन कराने वाले हिमांशु गुप्ता तथा उसके दोस्त विकास से हुई पूछताछ के बाद मामले की जांच में जुटी क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को डीयू के एससी/एसटी सेल का निरीक्षण किया। सोमवार को जहां इस कार्यालय से करीब आठ फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर डीयू में एडमिशन कराने वाले छात्र-छात्राओं के आवेदन पत्र तथा जाति प्रमाण पत्र जब्त किए गए थे, वहीं मंगलवार को पुलिस टीम ने दोबारा कार्यालय जाकर उन कर्मिर्यों के बारे में जानकारी जुटाई, जो इस रैकेट के सरगना हिमांशु गुप्ता के लगातार संपर्क में थे। पुलिस ने बताया कि सोमवार को जांच टीम को पता चला था कि डीयू के एससी/एसटी सेल में तैनात नीरज शर्मा नामक एक चपरासी हिमांशु गुप्ता के संपर्क में था और उसने कई एडमिशन में उसकी अच्छी खासी मदद की थी। मंगलवार को भी नीरज शर्मा से इस बारे में गहन पूछताछ की गई। पूछताछ में महाजन नामक एक अन्य क्लर्क के बारे में पता चला है जो हिमांशु गुप्ता के संपर्क में था। बताया जाता है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर डीयू में दाखिला दिलाने वाले हिमांशु गुप्ता से दोनों कर्मियरें ने मिलीभगत की बात स्वीकार कर ली है लेकिन अभी तक के जांच में यह साफ नहीं हो पाया कि दोनों ने अब तक कितने छात्र छात्राओं का दाखिला डीयू में करा चुके हैं और इस काम के लिए उसे क्या लाभ दिया जाता था। एसीपी राजेन्द्र बक्शी की टीम ने मंगलवार को गाजियाबाद तथा महरौली के तहसीलदार कार्यालय जाकर जब्त किए गए कई फर्जी जाति प्रमाण पत्रों को वेरिफाई किया है। पुलिस का कहना है कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने में तहसीलदार तथा उनके कार्यालय में काम करने वाले कर्मियार्ें की भूमिका के बारे में छानबीन की जा रही है। जांच टीम को पता चला है कि महरौली तहसीलदार कार्यालय में जिस तरह अनुबंध के आधार पर केतन मेहता काम कर रहा था, उसी प्रकार सतीश नामक कर्मी भी गाजियाबाद कार्यालय मे अनुबंध के आधार पर पिछले कई माह से वहां काम कर रहा था। पुलिस ने उस कम्प्यूटर और हार्ड डिस्क को जब्त किया है जिस पर जब्त किए गए फर्जी जाति प्रमाण पत्र को अपलोड किया जाता था। पुलिस का कहना है कि हिमांशु गुप्ता तथा विकास के जब्त किए गए लैपटॉप की जांच के लिए साइबर सेल को भेज दिया गया है। जांच टीम को जब्त किए गए लैपटॉप से कई महत्वपूर्ण सुराग मिलने की उम्मीद है। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तीनों आरोपितों की रिमांड 29 जून को समाप्त हो रही है। क्राइम ब्रांच की कोशिश होगी कि दोबारा से तीनों आरोपितो को रिमांड पर ली जाए ताकि मामले की तह तक जाया जा सके(राजीव रंजन,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,29.6.11)।

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