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21 जून 2011

फर्जीवाड़ा कर पायलट बनाने वाली व्यवस्था में बदलाव

फर्जीवाड़ा कर पायलट बनाने वाली व्यवस्था में बदलाव करते हुए अब डीजीसीए यूरोप और यूके जैसी प्रणाली अपनाना चाह रहा है जिससे पायलट के बनने में कहीं कोई उंगली न उठे। डीजीसीए ने अब पुनर्मूल्यांकन की व्यवस्था को खत्म कर दिया है। साथ ही सारी पण्राली ज्यादा पारदर्शी रहे इसके लिए सब कुछ आन लाइन करने के प्रयास हैं। हाल में पायलट के कामर्शियल लाइसेंस कैसे लिए जा रहे हैं इसके देश व्यापी घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद भारत की स्थिति शर्मसार हुई है । मालूम चला कि हवाई जहाज में सैकड़ों लोगों की जान नौसिखिये ऐसे पायलटों के हाथ में थी जिनको हवाई जहाज उड़ाने का व्यावहारिक अनुभव भी नहीं था। पायलटों की भर्ती में हो रहे फर्जीवाड़े के पर्दाफाश होने पर करीब 20 से ज्यादा पायलट पकड़ में आए और करीब एक दर्जन अफसरों के हाथ इस घोटाले में लिप्त पाए गए थे। अब नई व्यवस्था के लिए पुराने ढांचे में बदलाव करते हुए डीजीसीए ने नई तकनीकी आधारित व्यवस्था लाने की ठानी है जिसमें फाड्र करने की गुंजाइश कम है। नई व्यवस्था में मिनिमम फाड्र और अनावश्यक दावे अब पायलट नहीं कर सकेंगे। एयरलाइंस ट्रांसपोर्ट पायलट लाइसेंस के लिए पहले जो व्यवस्था थी उसमें लूपहोल की गुंजाइश थी जिसका फायदा मिल कर उठाया जाता रहा लेकिन अभी डीजीसीए ने पायलट परीक्षा में पुनर्मूल्यांकन की व्यवस्था को ही खत्म कर दिया है। पहले इसी व्यवस्था के नाम पर लोग पुनमरूल्याकंन कराकर अपने चहेतों के नम्बर बढ़ा देते थे।अभी हाल में 8000 पायलटों की डीजीसीए को नए सिरे से जांच करानी पड़ी थी जिससे कि यह पता चल सके कि कौन अयोग्य पायलट हवाई जहाज उड़ा रहे हैं। डीजीसीए का कहना है कि पहले दो परीक्षाओं के बाद विदेशी पायलट लाइसेंस को यहां मान्य कर लिया जाता था लेकिन अब कुशलता परीक्षा भी देनी होगी,वह भी एडवांस एयरक्राफ्ट की उड़ान के साथ। हाल में डीजीसीए ने पायलट परीक्षा के लिए नए ढंग से पाठ्यक्रम भी बनाया है जिसमें कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं(राकेश आर्य,राष्ट्रीयसहारा,दिल्ली,21.6.11) ।

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