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25 जून 2011

महाराष्ट्रःमैनेजमेंट की पढ़ाई हुई बजट के बाहर

नए शिक्षा सत्र में मैनेजमेंट की पढ़ाई और महंगी हो गई है। शिक्षण शुल्क समिति ने इंजीनियरिंग और मेडिकल की फीस के बाद एमबीए की अंतरिम फीस में भारी वृद्धि की है, जबकि पॉलिटेक्निक पाठ्यक्रम की फीस में मामूली वृद्धि की गई है।

शिक्षा सत्र 2011-12 में एमबीए कालेजों में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों को गत वर्ष की तुलना में 5 से 13 हजार रुपये फीस अधिक चुकानी होगी। समिति ने पॉलिटेक्निक कालेजों की फीस में ढाई हजार से 7 हजार रुपये तक की वृद्धि की है।

एक लाख के पार हुई फीस

समिति ने स्पष्ट किया है कि नया शुल्क ढांचा अंतरिम रूप से घोषित किया गया है। अंतिम शुल्क ढांचा बाद में जारी किया जाएगा। समिति की घोषणा के बाद एमबीए की पढ़ाई इंजीनियरिंग की तुलना में काफी महंगी हो गई है।

मुंबई और पुणे के बाद नागपुर के दत्ता मेघे इंस्टीटच्यूट ऑफ मैंनेजमेंट स्टडीज की फीस एक लाख रुपये से अधिक हो गई है। गत वर्ष फीस 91 हजार 870 रुपये थी, जबकि रामदेव बाबा कमला नेहरू इंजीनियरिंग कालेज की फीस 80 हजार रुपये से बढ़कर 92 हजार रुपये हो गई है।

इसके अलावा जी. एस. रायसोनी स्कूल ऑफ बिजनेस मैंनेजमेंट की अंतरिम फीस 89 हजार 700 की गई है। आश्चर्य की बात तो यह है कि डा. आंबेडकर मैंनेजमेंट कालेज की फीस गत वर्ष की भांति 70 हजार रुपये ही रखी गई है। अधिकांश कालेजों की फीस 70 हजार के पार हो गई है।


दाखिले पर पड़ेगा असर

नए शुल्क ढांचे की घोषणा का असर दाखिले पर पड़ सकता है। इस समय पाठच्यक्रम के लिए प्रवेश प्रक्रिया का दौर जारी है। अंतिम मेरिट सूची अभी आनी बाकी है। विद्यार्थी गत वर्ष की फीस को देखते हुए दाखिले की तैयारी में जुटे हुए हैं। 

उल्लेखनीय है कि गत वर्ष हुई फीस वृद्धि के बाद पाठच्यक्रम में दाखिला लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या में कमी आई थी, जिससे रातुम नागपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध 58 एमबीए कालेजों में ढाई हजार सीटें रिक्त रह गई थीं। इस टोटे को खत्म करने के लिए सरकार ने सीईटी की शर्त हटा ली थी। बावजूद इसके सीटें साल भर खाली रहीं।

कई सवाल खड़े हो सकते हैं

कालेजों की अंतरिम फीस की घोषणा के बाद कई सवाल खड़े हो सकते हैं। खासकर कालेजों में शिक्षकों के पदों को लेकर सवाल उठाए जा सकते हैं। विवि से संबद्ध अधिकांश कालेज ऐसे हैं, जहां अभी तक स्थायी शिक्षक नहीं हैं। 

दूसरा सवाल यह है कि इतनी फीस देने के बावजूद कालेज विद्यार्थियों को रोजगार मुहैया कराने में सक्षम नहीं हैं। कुछ कालेजों को छोड़ दिया जाए, तो ऐसे कई कालेज हैं, जहां से एमबीए करने के बाद विद्यार्थियों को रोजगार पाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है(आशीष दुबे,दैनिक भास्कर,नागपुर,25.6.11)।

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