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20 जून 2011

दिल्लीःमदरसों के पढ़े छात्र बोल रहे फर्राटेदार अंग्रेजी

खचाखच भरे ऑडीटोरियम में मंच पर आकर अगर फर्राटेदार अंग्रेजी में भाषण देना हो तो अच्छे- अच्छे हकलाने लग जाते हैं। लेकिन बचपन से हकलाता आ रहा मदरसे में पढ़ा मोहम्मद ओसामा मंच पर आकर ब्रिटिश व अमरीकी एसेंट में स्पीच देता है और बिल्कुल नहीं हकलाता। वहीं सिर से पांव तक बुर्का ओढ़ने वाली बचपन से अपने घर में मदरसा चलते देखती आई राहत बिलाल भी महज 30 दिन के भीतर एक राजनेता की तरह भाषण देती है। मदरसा बेकग्राउंड और मुख्यधारा से दूर रहे इन लड़के लड़कियों में यह आत्मविास जगाया है हैदराबाद के युवा ट्रेनर मुनव्वर जमां ने। पिछले तीन साल की तरह इस साल भी श्री जमां इन दिनों इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर में नोबल एजुकेशन फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित फ्री पर्सनेल्टी डवलपमेंट क्लासों में यह जादू कर रहे हैं। इन क्लासों की खास बात यह है कि इनमें सभी धर्म संप्रदायों के बच्चे मुफ्त ट्रेनिंग पाते हैं। इन क्लासों में मदरसों के पढ़े हुए बच्चों की तादात अच्छी खासी है तो वहीं सेंट जेवियर जैसे कान्वेंट के बच्चे भी यहां ट्रेनिंग में अंग्रेजी का उच्चारण सीखने आते हैं। मोहम्मद ओसामा का कहना है कि पहले दिन मंच पर मेरे पांव कांप रहे थे लेकिन जब मैंने हिम्मत जुटाई और यह ठान लिया कि मुझे अंग्रेजी बोलना है तो मैं बोलता चला गया। अपने ट्रेनर मुनव्वर जमां को इसका श्रेय देते हुए राहत बिलाल का कहना है कि मुझे विास नहीं होता कि मैं इस प्रकार भरे सभागार में स्पीच देती हूं। राहत बिलाल के अनुसार यदि मौका दिया जाए तो बुर्का ओढ़ने वाली लड़कियां भी बहुत कुछ कर सकती हैं। मदरसे के ही पढ़े हुए मोहम्मद गौस का कहना है कि इन कक्षाओं में इंग्लिश मीडियम के पढ़े हुए बच्चों के बीच फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने का यह अच्छा अवसर है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के इस्लामिक स्टडीज विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो अख्तरुल वासे इन कक्षाओं को देखने के बाद ट्रेनर मुनव्वर जमां को एक जादूगर ही कहते हैं। श्री मुनव्वर जमां के अनुसार वे पहले फारमेसिस्ट के तौर पर काम करते थे। दक्षिण भारत के डॉक्टरों से मैं अंग्रेजी में सही प्रकार बात नहीं कर पाता था लिहाजा अंग्रेजी के शुद्ध उच्चारण पर जोर देते हुए इस पर बारीकी से शोध किया। कार्यक्रम के कोऑरडीनेटर एम वुदूद साजिद और एमए काजमी के अनुसार उत्तर भारत में यह अपने आप में पहला कार्यक्रम है जो यहां कराया जा रहा है। अध्यक्ष सिराजुद्दीन कुरैशी के अनुसार हम सभी धर्मो के बच्चों को बराबर अवसर देने पर विास करते हैं लिहाजा इन क्लासों में मदरसों के लड़के लड़कियों के साथ दूसरे धर्मो के बच्चे भी पढ़ते हैं(ताजीम हैदर,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,20.6.11)।

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