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23 जुलाई 2011

पंजाब यूनिवर्सिटी में हिंसा: 10 साल में 67 केस, जिम्मेदार कोई नहीं

पंजाब यूनिवर्सिटी कैंपस में पिछले 10 बरसों में छात्र संगठनों के बीच कई बार हिंसक टकराव हो चुका है। ज्यादातर घटनाओं के बाद तो केस ही दर्ज नहीं हुए। जो केस दर्ज हुए उनमें पुलिस छात्र नेताओं पर लगे आरोपों को कोर्ट में साबित नहीं कर पाई।

पिछले दस साल में पीयू की छात्र राजनीति से जुड़ी हिंसक घटनाओं में 67 केस दर्ज हुए, लेकिन एक भी छात्र नेता इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार नहीं पाया गया। 2001 से 2006 के बीच पीयू की छात्र राजनीति से जुड़े 36 केस पुलिस में दर्ज हुए। इनमें से एक भी केस में छात्र नेता पर लगे आरोप कोर्ट में साबित नहीं हो पाए। फिर 2006 से अभी तक ऐसे ही 31 केस दर्ज हो चुके हैं, लेकिन इनमें से ज्यादातर केस में छात्र नेता छूट गए। अलबत्ता, पुलिस ने हिंसक घटनाओं के बाद कई दफा छात्र नेताओं पर कार्रवाई जरूर की है।

हिंसा के बाद दर्ज ही नहीं होते केस, हो जाता है समझौता


पंजाब यूनिवर्सिटी या कॉलेजों में होने वाली हिंसक घटनाओं के बाद कई बार केस ही दर्ज नहीं होते। पिछले महीने ही छात्र नेताओं के बीच हिंसक टकराव हुआ, लेकिन यह केस पुलिस के पास दर्ज नहीं है। ज्यादातर मामलो में पुलिस में दर्ज हुए केस में दोनों पक्षों के बीच समझौता हो जाता है। बाकी केस में पुलिस छात्र नेताओं पर लगे आरोपों को साबित ही नहीं कर पाई।
पुलिस भले ही इन छात्र नेताओं पर लगे आरोपों को कोर्ट में साबित न करवा पाई हो लेकिन पीयू प्रशासन ने कई बार संजीदा बन हिंसक घटनाओं के बाद छात्र नेताओं पर कार्रवाई का साहस जरूर दिखाया है। सोपू नेता हरप्रीत सिंह मुलतानी को एक साल से परीक्षा देने से रोक दिया गया। इसी तरह सोपू नेता बरिंद्र सिंह ढिल्लों को भी लॉ की परीक्षा नहीं देने दी गई(अधीर रोहाल,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,23.7.11)।

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