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17 जुलाई 2011

यूपीःशिक्षामित्रों को 16 अगस्त से प्रशिक्षण

स्नातक शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण का पहला चरण 16 अगस्त से शुरू होगा। पहले चरण के प्रशिक्षण के लिए शिक्षामित्रों से 30 जुलाई तक संबंधित जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) में आवेदन मांगे गए हैं। प्रशिक्षण के लिए शिक्षामित्रों के चयन की प्रक्रिया 10 अगस्त तक पूरी कर ली जाएगी। प्रथम चरण के प्रशिक्षणार्थियों की सूची का प्रकाशन 11 अगस्त को होगा। नए जिले कांशीराम नगर और छत्रपति शाहूजी महाराज नगर के शिक्षामित्र उस मूल जिले के डायट में आवेदन करेंगे, जिसमें पूर्व में उनके विद्यालय से संबंधित विकासखंड सम्मिलित था। पहले चरण में 62 हजार स्नातक शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया की रूपरेखा तय करने के सिलसिले में शनिवार को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निदेशक दिनेश चंद्र कनौजिया की अध्यक्षता में हुई डायट प्राचार्यों की बैठक में यह निर्णय हुआ है। बैठक में डायट प्राचार्यों को निर्देश दिया गया कि प्रशिक्षण के लिए वे तत्काल विज्ञापन प्रकाशित करें, जिसमें आवेदन का प्रारूप भी होगा। शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देने के लिए इलाहाबाद स्थित राज्य शिक्षा संस्थान ने राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के निर्देशानुसार पाठ्य सामग्री तैयार कर ली है। शिक्षामित्रों को यह पाठ्य सामग्री मुहैया कराने के लिए इसे प्रिंट कराया जा रहा है। बैठक में निदेशक एससीईआरटी ने डायट प्राचार्यों से बताया कि शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण देने के लिए प्रत्येक ब्लॉक संसाधन केंद्र (बीआरसी) और नगर शिक्षा संसाधन केंद्र (यूआरसी) के लिए पांच-पांच विषय विशेषज्ञों का चयन हो चुका है। प्रत्येक बीआरसी और यूआरसी के लिए दो और विषय विशेषज्ञों का चयन बाद में किया जाएगा। चयनित विषय विशेषज्ञों को संबंधित का प्रशिक्षण संबंधित डायट में 30 जुलाई तक पूरा कर लिया जाएगा। विषय विशेषज्ञों को ट्रेनिंग देने के लिए मास्टर ट्रेनर्स को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। चयन के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए प्रत्येक ब्लॉक संसाधन केंद्र (बीआरसी) और नगर शिक्षा संसाधन केंद्र (यूआरसी) पर चयनित शिक्षामित्रों की सूची तैयार की जाएगी। प्रत्येक बीआरसी और यूआरसी पर 70 शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। एनसीटीई द्वारा तय की गई व्यवस्था के अनुसार शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण की पूरी अवधि में न्यूनतम 300 संपर्क घंटे (कॉन्टैक्ट आवर्स) निर्धारित किये जाएंगे। इसमें एकेडमिक काउंसिलिंग के लिए 144 घंटे, कार्यशाला 24 दिन, विद्यालय आधारित क्रियाकलाप के लिए 15 अध्ययन घंटे और क्रियात्मक प्रशिक्षण के लिए 80 अध्ययन घंटे निर्धारित करना अनिवार्य होगा(दैनिक जागरण,लखनऊ,17.7.11)।

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