एलएलबी में भी ओबीसी की खाली सीटें दिल्ली यूनिवर्सिटी को टेंशन दे रही है। लॉ फैकल्टी ने इस बार ओबीसी
कैटिगरी के स्टूडेंट्स को बड़ी राहत देते हुए एडमिशन फॉर्म्युले को नये रूप में लागू किया था और ओबीसी के हर स्टूडेंट को जनरल कैटिगरी से 70 नंबर कम पर एडमिशन मिला। इसके बाद भी ओबीसी की करीब 200 सीटें खाली पड़ी हुई हैं। कॉलेजों की तरह डीयू ने लॉ फैकल्टी को भी ओबीसी की सीटों को कन्वर्ट करने से रोक दिया है।
जनरल और ओबीसी की कट ऑफ में 10 पर्सेंट तक का अंतर हो सकता है। एलएलबी का एंट्रेंस टेस्ट 700 मार्क्स का होता है। पिछले साल तक के एडमिशन प्रोसेस में अगर जनरल में किसी स्टूडेंट को 300 मार्क्स पर लास्ट एडमिशन मिल रहा था तो ओबीसी को 270 मार्क्स पर एडमिशन मिल जाता था।
यानी ओबीसी के लिए छूट जनरल के कट ऑफ मार्क्स के हिसाब से दी जाती थी। लेकिन इस बार लॉ फैकल्टी ने एंट्रेंस टेस्ट के 700 नंबर का ही 10 पर्सेंट कैलकुलेट किया और इसके आधार पर एडमिशन दिया। इस तरह इस बार ओबीसी के हर कैंडिडेट को जनरल से 70 नंबर तक कम लाने पर भी एडमिशन मिल सकता है।
लॉ फैकल्टी में एडमिशन इंचार्ज प्रो. ओ. पी. शर्मा ने बताया कि ओबीसी की अभी लॉ सेंटर 1 और 2 में ओबीसी की 100-100 सीटें बची हुई हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल ओबीसी की सीटें जनरल में कन्वर्ट नहीं होंगी और डीयू के जो भी दिशा-निर्देश होंगे, उसके मुताबिक ही आगे का एडमिशन प्रोसेस होगा।
जनरल कैटिगरी के तो करीब 95 पर्सेंट एडमिशन हो चुके हैं। कैंपस लॉ सेंटर में जनरल कैटिगरी के स्टूडेंट्स को 328 मार्क्स तक एडमिशन मिला और ओबीसी में 258 तक मार्क्स लाने वाले कैंडिडेट सिलेक्ट हुए। लॉ सेंटर 1 और 2 में जनरल की लास्ट कट ऑफ 308 मार्क्स की रही और ओबीसी कैंडिडेट को 238 मार्क्स तक एडमिशन मिला।
इस बार एलएलबी की करीब 2445 सीटें हैं। डीयू में लॉ फैकल्टी के अंतर्गत कैंपस लॉ सेंटर, लॉ सेंटर 1 और लॉ सेंटर 2 में एडमिशन होते हैं। कैंपस लॉ सेंटर में जनरल कैटिगरी की 388 सीटें हैं, एससी कैटिगरी के लिए 116, एसटी की 58, ओबीसी की 208, पीएच की 15 सीटें रिजर्व हैं। लॉ सेंटर 1 में जनरल की सीटें 467, एससी की 139, एसटी की 69, ओबीसी की 249 और पीएच की 18 सीटें हैं। लॉ सेंटर 2 में जनरल कैटिगरी की 312, एससी की 92, एसटी की 46, ओबीसी की 166 और पीएच कैटिगरी की 12 सीटें हैं(भूपेंद्र,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,16.7.11)।
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