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13 जुलाई 2011

महाराष्ट्रःखाली हैं 33 हजार आरक्षित पद

राज्य में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित खाली पदों की संख्या बढ़कर 33,000 का आंकड़ा पार कर गई है।

तीसरी और चौथी श्रेणी के पदों की भर्ती पर रोक को अगले साल तक बढ़ाए जाने के कारण अब इस संख्या में भारी इजाफे की आशंका जताई जा रही है। हालांकि महकमों को आदेश दिए गए हैं कि वे सरकार की अनुमति से राज्य भर में खाली पदों को तत्काल भरने की प्रक्रिया शुरू करें।

सूत्रों के अनुसार सरकार के विभिन्न महकमों के तकरीबन एक लाख पद रिक्त पड़े हैं। वहीं आरक्षित पदों की तादाद 33,638 हो गई है, जिसमें अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, खानाबदोश जनजाति, ओबीसी और पिछड़ा वर्ग की बाकी जातियां शामिल हैं।

इनमें 9,527 वो पद हैं, जो पदोन्नति के बाद योग्य व्यक्ति नहीं मिलने से खाली पड़े हैं। रिक्त पदों के मामले में ओबीसी वर्ग सबसे आगे है, इस वर्ग के 20,015 पद रिक्त हैं।

जबकि अनुसूचित जाति के 7,177 और वीजेएनटी के 2,904 पद खाली हैं। पदोन्नति के कारण खाली पदों में अनुसूचित जनजाति के 2,587 और अनुसूचित जाति के 2,438 पदों को नियुक्तियों का इंतजार है।


पहली और दूसरी श्रेणी के पदों को बिना किसी रुकावट के भरा जा सकता है। शिक्षक व नर्स जैसे तीसरी और चौथी श्रेणी के तकनीकी पदों को भरने के लिए भी सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव के.पी.बक्शी की अध्यक्षता वाली विशेष समिति की अनुमति लेनी पड़ती है। 

लेकिन हाल में जारी आदेशों के कारण क्लर्क, चपरासी और ड्राइवर जैसे गैर-तकनीकी पदों की नियुक्ति पर रोक है। सामान्य प्रशासन विभाग में प्रधान सचिव पी.एस.मीणा ने बताया कि सरकार ने नियुक्ति पर पाबंदी को जून, 2012 तक यानी एक साल के लिए बढ़ा दिया है। 

इसके बावजूद अपवाद की स्थिति में विशेष मंजूरियों के मार्फत अब भी नियुक्तियां होती हैं। इसके लिए विभाग नियुक्ति की जरूरत को सही साबित करना पड़ता है। 

श्री मीणा ने कहा, हमने तमाम महकमों को पहली और दूसरी श्रेणी के खाली पदों को भरने के निर्देश दिए हैं। गृह विभाग जैसे महकमों ने यह प्रक्रिया शुरू भी कर दी है। 

प्रधान सचिव ने माना कि राजस्व, परिवहन और उत्पादन शुल्क विभाग में खाली पदों की संख्या काफी ज्यादा है। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने सामान्य प्रशासन विभाग के मार्फत जून, 2010 में पहली बार एक आदेश जारी करके तीसरी और चौथी श्रेणी में भर्ती पर रोक लगा दी थी। 

इस प्रतिबंध के लिए सरकार ने तंगहाली और छठवें वेतन आयोग के कारण कर्मचारियों के वेतन पर भारी खर्च को जिम्मेदार बताया था। पिछले सप्ताह इस प्रतिबंध की मियाद और एक साल के लिए बढ़ा दी गई। यही वजह है कि प्रशासन में खाली पदों की संख्या बढ़ते-बढ़ते एक लाख तक पहुंच गई है(फैसल मलिक,दैनिक भास्कर,मुंबई,13.7.11)।

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