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17 जुलाई 2011

बिहार में 3500 जीआरपी की बहाली

बिहार में पुलिसकर्मियों की संख्या राष्ट्रीय औसत के बराबर लाने के लिए चल रही कवायद के तहत जीआरपी में बड़े पैमाने पर पदों में वृद्धि किये जाने का प्रस्ताव है। बताया जाता है कि 3514 पदों के सृजन का प्रस्ताव है जो सिपाही से लेकर पुलिस उपाधीक्षक स्तर तक का होगा। इस दिशा में कई महीनों से कवायद जारी है। यदि रेल पुलिस के प्रस्ताव को राज्य सरकार की मंजूरी मिल गई तो उसकी ताकत में दोगुना इजाफा हो जाएगा। इससे रेल पुलिस में सिपाही से लेकर डीएसपी स्तर तक के पद न सिर्फ बढ़ जाएंगे बल्कि उसके स्वीकृत बल की संख्या 7400 से अधिक हो जाएगी। अपर पुलिस महानिदेशक (रेल) एसके भारद्वाज के मुताबिक बिहार में रेल पुलिस को चार जिलों में बांटा गया है। ये पटना, मुजफ्फरपुर, जमालपुर और कटिहार हैं। इनमें 32 थाने और इसी संख्या में पुलिस पोस्ट कार्यरत हैं। बिहार के अधीन 3615 किलोमीटर का रेल रूट है। राज्य से गुजरने वाली ट्रेनों के यात्रियों की सुरक्षा की खातिर 4 पुलिस अधीक्षक, 14 पुलिस उपाधीक्षक, 17 इंस्पेक्टर, 337 सब-इंस्पेक्टर और 317 सहायक सब-इंस्पेक्टर के पद पूर्व से सृजित हैं। इसकेअलावा हवलदार के 511 और आरक्षी के 2702 पद भी हैं। इन्हें मिलाकर रेल पुलिस में अधिकारियों व जवानों के 3902 स्वीकृत पद हैं। रेल मार्ग और ट्रेनों की बढ़ती संख्या को देखते हुए हाल में ही राज्य सरकार को रेल पुलिस के अधीन पदों में वृद्धि करने का प्रस्ताव भेजा गया है। इसके तहत 3514 पदों के सृजन का प्रस्ताव है जो सिपाही से लेकर पुलिस उपाधीक्षक स्तर तक का होगा। प्रस्ताव को सरकार की मंजूरी मिलने के बाद जीआरपी में बल की तादाद करीब दोगुना हो जाएगी। ज्ञात हो कि राजग के दोबारा सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार में पुलिसकर्मियों की संख्या को राष्ट्रीय औसत के बराबर पहुंचाने के लिए पुलिस मुख्यालय से बहाली संबंधी प्रस्ताव तैयार कर भेजने का निर्देश दिया था। राष्ट्रीय औसत प्रति एक लाख व्यक्ति पर 145 पुलिसकर्मियों का है जबकि बिहार में यह संख्या प्रति एक लाख व्यक्ति पर महज 80 पुलिसकर्मियों की है। इस स्थिति को देखते हुए अगले पांच वर्षो में हर साल कम से कम 1 हजार दारोगा और 9 हजार सिपाहियों की बहाली की जानी है(राष्ट्रीय सहारा,पटना,17.7.11)।

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