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01 जुलाई 2011

मध्यप्रदेशःस्कॉलरशिप के 40 लाख लेने नहीं आ रहे विद्यार्थी

सरकार तैयार है, स्कीम भी तैयार है और तो और रुपए भी आ चुके हैं, लेकिन जिन्हें ये रुपए दिए जाने हैं, वे खुद ही तैयार नहीं हैं। बात हो रही है सेंट्रल स्कॉलरशिप स्कीम की, जिसका फायदा कई विद्यार्थी नहीं उठा रहे हैं।

इसके चलते माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) के पास पिछले तीन वर्षो से रखे करीब 40 लाख रुपए लैप्स हो सकते हैं। केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली यह स्कॉलरशिप माशिमं के माध्यम से विद्यार्थियों को दी जाती है।

पिछले तीन वर्षो में 12वीं में 80 फीसदी से ज्यादा अंक लाने विभिन्न जिलों के 412 विद्यार्थियों ने अब तक व्यक्तिगत जानकारी नहीं भेजी हैं। इस कारण मेरिट में आए छात्रों की स्कॉलरशिप के करीब 40 लाख रुपए माशिमं के पास जमा हैं।

लिहाजा माशिमं इस सिलसिले में संबंधित जिलों के कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारियों को सूचित करना पड़ा है, ताकि वे पात्र विद्यार्थियों से उनकी जानकारियां भिजवा सकें।


ऐसे मिलती है स्कॉलरशिप: 10+2 पैटर्न से 80 फीसदी नंबर प्राप्त करने वाले उन नियमित विद्यार्थियों को दस हजार रुपए की स्कॉलरशिप मिलती है, जिनके अभिभावकों की सालाना आय साढ़े चार लाख रुपए से कम हो। ये स्कॉलरशिप मेरिट के आधार पर दी जाती है। केंद्र सरकार के नियमों के मुताबिक स्कॉलरशिप देते वक्त आरक्षण नियमों का पालन होता है। 

इस स्कॉलरशिप के लिए चुने गए हर विद्यार्थी को ग्रेजुएशन के पहले वर्ष से पैसा मिलना शुरू हो जाता है। यदि विद्यार्थी अगले वर्षो में भी नियमित पढ़ाई करता है और कम से कम 60 फीसदी अंक हासिल करता है तो उसकी स्कॉलरशिप जारी रहती है। 

दो करोड़ 55 लाख जमा किए

माशिमं ने वर्ष 2010-11 के लिए केंद्र सरकार द्वारा स्कॉलरशिप के लिए भेजे गए दो करोड़ 55 लाख 80 हजार रुपए ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में जमा कर दिए हैं। 90 विद्यार्थियों को छोड़कर अधिकतर ने अपने विषय में जानकारी भेज दी है। जानकारी भेजने वाले 2,431 विद्यार्थियों को यह स्कॉलरशिप बैंक के माध्यम से दे दी जाएगी।

यह है जरूरी: 

विद्यार्थी का राष्ट्रीयकृत बैंक शाखा में खाता होना जरूरी है। बैंक आईएफएससी कोड के साथ ही विद्यार्थी का एंटाइटलमेंट नंबर भी मंडल को चाहिए।

पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए भी: 

विद्यार्थियों को पोस्ट ग्रेजुएशन के दौरान भी यह स्कॉलरशिप दी जाती है। साथ ही राशि भी दोगुनी यानी 20 हजार रुपए प्रतिवर्ष हो जाती है।

ग्रेजुएशन में लगातार 60 फीसदी नंबर लाते हुए पोस्ट ग्रेजुएशन में एडमिशन लेने वाले विद्यार्थी को ही यह स्कॉलरशिप मिलती है(अनुराग शर्मा,दैनिक भास्कर,भोपाल,1.7.11)।

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