छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल ने दो साल में दो दर्जन से ज्यादा परीक्षाएं आयोजित कर 40 करोड़ रुपए से ज्यादा की कमाई की लेकिन व्यवस्था के नाम पर उसके दामन में दाग ही आए। परीक्षा को पूल प्रूफ बनाने के लिए कोई खास खर्च नहीं किया गया। परीक्षा कार्यो में लगभग 6 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
व्यापमं को हर साल परीक्षाओं से करोड़ों रुपए का फायदा पहुंच रहा है, इसके बावजूद मंडल परीक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए कोई खास उपाय नहीं कर पा रहा है। व्यापमं की आमदनी से 2009-10 में राज्य सरकार को दो करोड़ रुपए दिए गए हैं। व्यापमं ने 2009-10 में पीईटी, पीएमटी, पीएटी समेत एक दर्जन से ज्यादा परीक्षाएं आयोजित की। इसमें शिक्षाकर्मी भर्ती परीक्षा सबसे बड़ी थी।
इसमें लगभग आठ लाख उम्मीदवार शामिल हुए थे। परीक्षा में शामिल होने वाले सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से 450 और आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों से 250 रुपए परीक्षा शुल्क लिया गया।परीक्षा को आयोजित करने में 3 करोड़ 85 लाख 50 हजार 692 रुपए खर्च करने की बात कही गई।
परीक्षा में इतनी बड़ी राशि कैसे खर्च हो गई यह बड़ा सवाल है। इसकी उचित जांच होनी चाहिए। चौंकाने वाली बात यह है कि इस खर्च में केवल परीक्षा के इंतजामों में किए गए खर्चे को शामिल किया गया। प्रश्न पत्र निर्माण, छपाई, परिवहन, आवेदन, ओएमआर शीट, मूल्यांकन और परीक्षा परिणाम तय करने में हुए खर्चे को शामिल नहीं किया गया है। शिक्षाकर्मी भर्ती परीक्षा से ही व्यापमं ने 25 करोड़ से ज्यादा की कमाई की।
बेरोजगारों से कमाए करोड़ों :
व्यापमं की ओर से 2011-12 में 16 परीक्षाएं आयोजित की गई। इसमें पीईटी, पीएमटी, पीपीटी, बीएड, डीएड, उप अभियंता, परिवहन आरक्षक, केमिस्ट, प्री पीजी आयुर्वेद आदि परीक्षाएं शामिल थे। व्यापमं ने इन सभी परीक्षाओं में 1 करोड़ 38 लाख 17 हजार 193 रुपए खर्च होना बताया है। खर्च से कई गुना ज्यादा राशि व्यापमं के खाते में जमा हुई।
इसके बावजूद व्यापमं की ओर से अब तक एक भी परीक्षा बिना शुल्क के आयोजित नहीं की गई ।
खर्चों पर नहीं लगी लगाम
शिक्षाकर्मी भर्ती परीक्षा के अलावा पीईटी, पीएमटी, प्री बीएड, डीएड, एमसीए, प्री पीजी आयुर्वेद, बीएएमएस आदि परीक्षाओं से मनमानी फीस लेकर अनाप-शनाप खर्च दिखाए गए। पीएमटी 2009 में 21 हजार से ज्यादा और पीईटी में लगभग 30 हजार परीक्षार्थी शामिल हुए थे। पीएमटी के लिए 700 और 400 तथा पीईटी के लिए 600 और 400 रुपए वसूले गए थे।
दोनों परीक्षाओं के आयोजन में 22 लाख रुपए से ज्यादा की राशि खर्च की गई। 2009-10 की सभी परीक्षाओं के आयोजन में 4 करोड़ 44 लाख 94 हजार 277 रुपए की भारी भरकम राशि खर्च होना बताया गया है। जानकारों का कहना है कि इनमें से केवल कुछ ही परीक्षाएं बड़ी थी, बाकी परीक्षाएं छोटे स्तर पर थी। इसके बावजूद इतनी बड़ी राशि खर्च कर दी गई।
"परीक्षाओं को आयोजित करने में हुए आय-व्यय की जांच ऑडिट टीम करती है। ऑडिट रिपोर्ट के बाद ऐसा लगता है कि अनावश्यक खर्च किए गए हैं तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी। मंडल की कोशिश यही होनी चाहिए की बेवजह के खर्च न हों, लेकिन जरूरत की चीजों में कटौती भी न की जाए।"
के सुब्रहमणियम, अध्यक्ष, व्यापमं
(दैनिक भास्कर,रायपुर,9.7.11)
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