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10 जुलाई 2011

इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए अब अंक सीमा 45 प्रतिशत

अब विज्ञान वर्ग में भौतिकी, रसायन और गणित में 45 फीसद अंकों के साथ इंटर की परीक्षा पास करने वाले के छात्र भी इंजीनियरिंग पाठय़क्रमों में प्रवेश ले सकेंगे। कई राज्यों के अनुरोध के बाद ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने अधिसूचना जारी इस बात की इजाजत दे दी है कि इंटर में 45 फीसद वाले छात्रों को भी प्रवेश का पात्र माना जाए। यह अधिसूचना पांच जुलाई से लागू भी हो गई है। एआईसीटीई के इस फैसले से उम्मीद जताई जा रही है प्रदेश के तकनीकी शिक्षा विभाग से शासनादेश जारी होने के बाद हर साल इंजीनियरिंग कॉलेजों में खाली रह जाने वाली 15 से 20 फीसद सीटें भरी जा सकेंगी। बता दें कि प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में मौजूदा समय में लगभग प्रदेश के 30 इंजीनियरिंग कॉलेजों में विभिन्न इंजीनियरिंग पाठय़क्रमों की 10 हजार 846 सीटें हैं जबकि पिछले सत्र में करीब 3700 इंजीनियरिंग की सीटें खाली रह गई थीं। प्रदेश में इंजीनियरिंग की मौजूदा सीटों में 6066 सीटें राज्य कोटे की, 3320 सीटें ऑल इंडिया कोटे की और 1447 सीटें मैनेजमेंट कोटे की हैं। इसके पहले जनवरी में एआईसीटीई ने तय किया था कि सामान्य वर्ग के 50 फीसद अंकों वाले विद्यार्थियों और आरक्षित वर्ग के 45 फीसद अंकों वाले विद्यार्थी ही इंजीनियरिंग में प्रवेश के योग्य हैं, लेकिन कई राज्यों ने इसका विरोध किया क्योंकि उनका तर्क था कि इससे देश में लाखों छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई से वंचित हो जाएंगे। खासकर वे छात्र जो आरक्षित श्रेणी से आते हैं या फिर ग्रामीण क्षेत्र से। इसके पहले अब तक इंटर में 35 फीसद अंक वाले छात्र भी बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग (बीई) या बैचलर ऑफ टेक्नोलॉजी (बीटेक) पाठय़क्रम में प्रवेश ले सकते थे लेकिन एआईसीटीई के जनवरी के आदेश के बाद वे इससे वंचित हो गए थे। एआईसीटीई के पात्रता अंकों का प्रतिशत पांच फीसद कम करने से सामान्य वर्ग के 45 प्रतिशत वाले और आरक्षित वर्ग के 40 फीसद अंक वाले छात्र इंजीनियरिंग कर सकेंगे। प्रदेश में विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए 11 जुलाई से ऑनलाइन काउंसिलिंग शुरू हो जाएगी। उत्तराखंड तकनीकी विविद्यालय ने इसके पहले चरण के लिए यानी एआई ट्रिपलई परीक्षा में शामिल सभी वगरे के छात्रों के लिए काउंसिलिंग शुल्क बैंक में जमा करने के लिए 7 जुलाई से 15 जुलाई की अवधि तय की है जबकि ऑन लाइन पंजीकरण व विकल्प भरने की अवधि 11 जुलाई से 17 जुलाई है। इसके बाद 19 जुलाई को सीट आवंटन की तिथि पर अभ्यर्थियों को एसएमएस से सूचना दे दी जाएगी। अभ्यर्थियों को आवंटित संस्थानों में अभिलेखों की जांच और प्रवेश की अवधि 20 जुलाई से 26 जुलाई तक रखी गई है। पहले चरण के बाद शेष सीटों के लिए रजिस्ट्रेशन और सीट अपग्रेडेशन के लिए यानी द्वितीय चरण की काउंसिलिंग के लिए शुल्क बैंक में जमा करने के लिए 26 जुलाई से 29 जुलाई की अवधि तय की है जबकि ऑन लाइन पंजीकरण व विकल्प भरने की अवधि 28 जुलाई से 31 अगस्त रखी गई है। इसके बाद दो अगस्त को सीट आवंटन की तिथि पर अभ्यर्थियों को एसएमएस से सूचना दे दी जाएगी(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,10.7.11)।

दैनिक जागरण,लखनऊ संस्करण की रिपोर्टः
यह बहस का मुद्दा हो सकता है कि इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए इंटरमीडिएट में न्यूनतम अंकों की बाध्यता को घटाकर अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने गुणवत्ता से समझौता किया है या नहीं। लेकिन यह तय है कि एआइसीटीई के नये पैंतरे ने उन निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को जरूर राहत दी है, जो सीटें खाली रह जाने के कारण बंदी के कगार पर पहुंच चुके हैं। एआइसीटीई के इस फैसले को निजी कॉलेजों पर उसकी दरियादिली के तौर पर देखा जा रहा है।
एआइसीटीई ने इंजीनियरिंग में दाखिले के लिए सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए इंटरमीडिएट में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक की अनिवार्यता तय की थी। अनुसूचित जाति/जनजाति के अभ्यर्थियों को इसमें पांच फीसदी अंकों की छूट दी गई थी। विगत चार जून को एआइसीटीई ने इंजीनियरिंग प्रवेश में सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए इंटरमीडिएट में न्यूनतम अंक की बाध्यता को 50 प्रतिशत से घटाकर 45 फीसदी व एससी/एसटी वर्ग के लिए 45 से 40 प्रतिशत करने की अधिसूचना जारी कर दी। माना जा रहा है कि एआइसीटीई ने नियम को शिथिल कर निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों पर इनायत की है।
सूबे के प्राविधिक विश्वविद्यालयों से संबद्ध इंजीनियरिंग कॉलेजों में राज्य प्रवेश परीक्षा (एसईई) के जरिये दाखिले होते हैं। कॉलेजों को 85 प्रतिशत सीटें काउन्सिलिंग के जरिये भरनी होती हैं जबकि 15 फीसदी सीटें एनआरआई कोटे की होती हैं। मौजूदा नियम यह है कि यदि काउन्सिलिंग के बाद भी सीटें खाली रह जाती हैं तो पहले उन्हें उप्र स्टेट इंजीनियरिंग एडमिशन टेस्ट (यूपीसीट) और फिर अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा (एआइईईई) की मेरिट लिस्ट से भरा जाए। यदि इसके बाद भी सीटें खाली रह जाती हैं, तो उन्हें उन बाहरी छात्रों से भरा जाए जिनके इंटरमीडिएट में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक हों। पिछले शैक्षिक सत्र का ही उदाहरण लें तो सूबे में प्राविधिक विश्वविद्यालय से संबद्ध 302 इंजीनियरिंग कालेजों में विभिन्न ट्रेड की कुल 1,13,448 सीटें थीं, जिनमें से 59.36 प्रतिशत यानी 67,348 सीटें खाली रह गईं।
सीटें खाली रह जाने से परेशान कई इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्रबंधन ने शिक्षण संस्थान को बंद करने के लिए शासन से अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी करने का अनुरोध किया है। वहीं कई अन्य कॉलेजों ने अपने यहां संचालित कम्प्यूटर साइंस, आइटी, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, एमसीए, एप्लाइड इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्स्ट्रूमेंटेशन सरीखे पाठ्यक्रमों को या तो बंद करने या फिर उनमें आवंटित सीटों की संख्या कम करने के लिए शासन की सहमति मांगी है। चूंकि एआइसीटीई ने अब इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए इंटरमीडिएट में न्यूनतम अंक सीमा को घटाकर 45 प्रतिशत कर दिया है, इसलिए अब निजी कॉलेजों को खाली सीटों को भरने के लिए अधिक संख्या में प्रवेशार्थी मिल सकेंगे।

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