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01 जुलाई 2011

यूपीः63 विषयों में एक समान पाठ्यक्रम पर सहमति बनी

राज्य के विश्वविद्यालयों में 63 विषयों में एक समान पाठ्यक्रम लागू करने पर सहमति बन गई है। उच्च शिक्षा सचिव अवनीश कुमार अवस्थी के साथ गुरुवार को कुलपतियों की बैठक में इस पर रजामंदी जताई गई। इसके लिए बोर्ड आफ स्टडीज की बैठक 15 जुलाई तक बुलाई जाएगी। बैठक में पीएचडी के लिए कॉमन इंट्रेंस टेस्ट पर भी सहमति जताई गई।
उल्लेखनीय है कि कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति हर्ष कुमार सहगल की अध्यक्षता में गठित समिति ने राज्य के विश्वविद्यालयों में एक समान पाठ्यक्रम लागू किए जाने की संस्तुति की थी। समिति के सदस्यों की कुलपतियों के साथ उच्च शिक्षा सचिव अवनीश अवस्थी के कक्ष में गुरुवार को बैठक हुई, जिसमें कहा गया कि जहां तक संभव हो एक समान पाठ्यक्रम पर बोर्ड आफ स्टडीज में भी विचार किया जाए। बोर्ड यदि किसी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम को अप-टू-डेट नहीं पाता तो उसे सहगल समिति की संस्तुतियों के परिप्रेक्ष्य में उच्चीकृत किया जाए। बैठक में संपूर्णानंद विश्वविद्यालय और झांसी विश्वविद्यालय के कुलपति को छोड़कर सभी राज्य विश्वविद्यालय के कुलपति मौजूद रहे। इसमें यह भी तय किया गया कि पीएचडी के लिए कॉमन इंट्रेंस टेस्ट में प्रत्येक विश्वविद्यालय एक-एक विषय की परीक्षा करायेगा। इससे छात्रों को एक ही विषय के लिए कई जगह आवेदन करने की समस्या से निजात मिलेगी। यह परीक्षा वर्ष 2011-12 में चक्रानुक्रम से संपन्न कराई जाएगी।

बैठक में विश्वविद्यालय सूचना प्रबंध तंत्र लागू करने पर भी विचार किया गया। बताया गया कि इसके लिए आवश्यक साफ्टवेयर विकसित करने का काम 31 जुलाई तक पूरा कर लिया जाएगा। अपट्रान और एचसीएल को छह विश्वविद्यालयों के लिए तंत्र की तैयारी का काम दिया जा चुका है। पांच अन्य विश्वविद्यालयों के लिए वित्त विभाग से धन स्वीकृत कराने का निर्णय लिया गया।

बैठक में उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन को और वैज्ञानिक और गतिशील बनाने पर विचार करते हुए इस बात पर सहमति व्यक्त की गई कि कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा अपनायी जा रही प्रणाली के डीजल स्वरूप को और सुधार कर अन्य विश्वविद्यालयों में लागू किया जाए। इस प्रणाली से कानपुर विश्वविद्यालय में 55 लाख उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जाता है। इस दौरान उच्च शिक्षा संस्थाओं में चयन संबंधी 31 दिसंबर के शासनादेश के अनुरूप नियमावली परिवर्तन पर भी विचार किया गया(दैनिक जागरण,लखनऊ,1.7.11)।

राष्ट्रीयसहारा की रिपोर्टः
प्रदेश में अब छात्रों को पीएचडी करने के लिए इन्ट्रेन्स टेस्ट देना होगा। इसके साथ ही राज्य के सभी विविद्यालयों में 63 विषयों में एक समान पाठ्य़क्रम लागू करने तथा परीक्षा नतीजों को फुलप्रूफ बनाने के लिए उत्तर पुस्तिकाओं के मू्ल्यांकन को डिजिटल पण्राली द्वारा कराये जाने का भी निर्णय लिया गया है। ये फैसले बृहस्पतिवार को उच्च शिक्षा विभाग के सचिव अवनीश अवस्थी के साथ प्रो. सहगल की अध्यक्षता में कुलपतियों के साथ हुई बैठक में लिये गये। बैठक में आगरा, बरेली, कानपुर, फैजाबाद, पूर्वाचल, काशी विद्यापीठ वाराणसी के कुलपति और लखनऊ, गोरखपुर के कुलपति प्रतिनिधि मौजूद थे। उच्च शिक्षा विभाग के विशेष सचिव वी.के. गुप्ता व श्रीमती अनीता मिश्रा भी मौजूद थीं। विभागीय सचिव श्री अवस्थी ने बताया कि बैठक में पीएचडी के लिए विविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के अनुरूप छात्रों का कामन इन्ट्रेन्स टेस्ट लिए जाने पर सहमति बन गयी है। इन्ट्रेन्स टेस्ट की व्यवस्था शैक्षिक सत्र 2011-12 से ही प्रभावी हो जाएगी। इन्ट्रेन्स परीक्षा चक्रानुक्रम से सभी विविद्यालय कराएंगे। प्रत्येक विविद्यालय एक-एक विषय की सम्मिलित प्रवेश परीक्षा करायेगा। इससे छात्रों को एक ही विषय के लिए कई जगह आवेदन करने और प्रवेश परीक्षा की तिथियां टकराने व अन्य झंझटों से मुक्ति मिल जायेगी। श्री अवस्थी ने बताया कि बैठक में प्रो. सहगल समिति की सिफारिशों के मुताबिक 63 विषयों में एक समान पाठय़क्रम सभी विविद्यालयों में लागू करने के लिए विवि में स्थापित बोर्ड आफ स्टडीज में विचार विमर्श करने का निर्णय लिया गया है। बोर्ड देखेगा कि विविद्यालयों का सेलेबस यदि अप-टू-डेट नहीं है तो उसे सहगल समिति की संस्तुतियों के परिप्रेक्ष्य में उच्चीकृत किया जाएगा। बोर्ड आफ स्टडीज की बैठक 15 जुलाई को होगी। उच्च शिक्षा सचिव ने बताया कि बैठक में विविद्यालय सूचना प्रबंधतंत्र को लागू करने का भी निर्णय लिया गया है। ऐसा होने से छात्रों व पठन-पाठन के बारे में निर्णय लेने में सहूलियत के साथ पारदर्शिता बढ़ेगी। बैठक में उत्तर पुस्तिकाओं के मू्ल्यांकन को और वैज्ञानिक व गतिशील बनाने पर विचार हुआ। इस बात पर सहमति बनी कि कानपुर विविद्यालय द्वारा अपनायी जा रही पण्राली को और अधिक डिजिटल स्वरूप में सुधार कर विविद्यालयों में लागू किया जाय। श्री अवस्थी ने बताया कि कानपुर विवि में 55 लाख उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया जाता है।

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