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01 जुलाई 2011

ब्रेन गेन की रंगत

हाल में दुनिया के प्रसिद्ध मानव संसाधन (एचआर) सलाहकार फर्म माफोई रेडस्टेंड के शोध अध्ययन में कहा गया है कि 2009-10 की तुलना में 2010-11 में भारत लौटने वाले प्रवासियों की संख्या में 15 फीसद का इजाफा हुआ है। इसका कारण भारत की आर्थिक और राजनीतिक मजबूती के साथ रोजगार के बढ़ते अवसरों के साथ अपने परिवार के पास लौटने की चाहत भी है। सचमुच इस समय देश के इतिहास में बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय प्रतिभाओं के विदेश से लौटने और वतन को चमकाने के संकल्प की नई इबारत लिखी जा रही है। पिछले दिनों अमेरिका के ड्यूक, कैलिफोर्निया और हार्वर्ड विविद्यालयों के सहयोग से कॉफमैन फाउंडेशन द्वारा किए गए शोध अध्ययन में पाया गया कि अमेरिका से भारतीय प्रतिभाएं तेजी से अपने देश की ओर लौट रही हैं। ऐसे में कल तक जो भारत प्रतिभा पलायन (ब्रेन ड्रेन) से चिंतित रहता था, अब प्रतिभा वापसी लाभ (ब्रेन गेन) से विकास की नई डगर पर तेजी से आगे बढ़ने की संभावनाएं तलाश रहा है। अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच सालों में भारत की ओर प्रवासी भारतीयों के लौटने का रुख धीमी गति वाला था। लेकिन अब इसमें जबर्दस्त तेजी आई है। ऐसे रुख से अमेरिका को बड़ा नुकसान होने जा रहा है। किसी समय प्रतिभा पलायन से लाभ उठाने वाली अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए यह उलटी गंगा बहने जैसा है। निसंदेह ब्रेन ड्रेन को ब्रेन गेन में बदलकर भारत में विज्ञान और तकनीक को नया आयाम देने के लिए पिछले एक दशक से लगातार कदम बढ़ाए जा रहे हैं। ऐसे कई प्रयासों के जरिए भारत ने अपने कारोबारियों, वैज्ञानिकों, तकनीकी विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और उद्योगपतियों को स्वदेश बुलाने के लिए बड़ा अभियान चलाया है जिसके परिणाम दिखाई देने लगे हैं। एक ओर भारत में प्रतिभा पलायन या ब्रेन ड्रेन की जगह ब्रेन गेन की रंगत के कारण जहां आईटी, बीपीओ और मेडिकल जैसे तमाम सेक्टरों में प्रतिभा पलायन का दौर बेहद धीमा हो गया है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका सहित पूरे यूरोप में काम कर रहे बहुत सारे पेशेवर, तकनीकी विशेषज्ञ और शोधकर्ता अब स्वदेश की ओर कूच कर रहे हैं। प्रवासी भारतीय प्रतिभाओं के लिए देश के आर्थिक विकास के साथ रोजगार के चमकीले अवसर निर्मिंत हो रहे हैं। भारत के पास कुशल पेशेवरों की फौज है। भारत में आईटी, सॉफ्टवेयर, बीपीओ, फार्मास्युटिकल्स, केमिकल्स एवं धातु क्षेत्र में दुनिया की जानी-मानी कंपनियां हैं, आर्थिक व वित्तीय क्षेत्र की शानदार संस्थाएं हैं। वह निवेश तथा विकास में भी आगे है। देश की अर्थव्यवस्था एक खरब डॉलर वाली हो गई है और यहां 200 से ज्यादा कंपनियां वि स्तर की हैं। ऊंचाई पर पहुंचती अर्थव्यवस्था के कारण भारत में विदेशी निवेशकों से भारी धन आ रहा है। देश में शेयर बाजारों में विदेशी निवेशकों का संस्थागत निवेश ऊंचाइयां ले रहा है। जून 2011 में विदेशी मुद्राकोष 312 अरब डॉलर से ऊपर हो गया है। ऐसी उजली आर्थिक संभावनाओं के परिवेश में वि में विकास के उजले अध्याय बनाने वाले प्रवासी भारतीयों का योगदान भारत की मिट्टी को सोना बना सकता है। भारतीयों को दुनिया का सबसे योग्य प्रवासी बताया गया है। कहा गया है कि आईटी, कम्प्यूटर, मैनेजमेंट, बैंकिंग, वित्त के क्षेत्र में दुनिया में भारतीय प्रवासी सबसे आगे हैं। पिछले कई दशकों से भारतीय प्रतिभाएं दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत बनाने के लिए याद की जाती रही हैं। ऐसे प्रवासी भारतीयों के लिए भारत के तेजी से बढ़ते बाजारों में अवसरों की कमी नहीं है। उनके स्वदेश आने से पूरे भारतीय समाज के विभिन्न अंगों और देश को लाभ मिलेगा। जहां भारतीय प्रतिभाओं से देश की आंतरिक अर्थव्यवस्था को गति मिलने की संभावनाएं हैं, वहीं इन प्रतिभाओं से भारत में यूरो और डॉलर की नई कमाई की अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं। जहां विदेशों से परियोजनाओं और संसाधनों की ताकत के साथ भारत लौटी प्रतिभाओं से देश का विदेश व्यापार बढ़ना संभावित है, वहीं आउटसोर्सिग के नए अध्याय भी खुलते दिखेंगे। सचमुच दुनिया में विकास के पर्याय बन चुके प्रवासी भारतीय और दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्क कही जाने वाली भारतीय प्रतिभाएं अपने देश को तेज विकास की नई रोशनी दिखा रही हैं। जहां देश में प्रतिभाओं की नई पौध प्रबंधकीय एवं तकनीकी जौहर के साथ विकास को गति देने के लिए आगे बढ़ रही हैं वहीं विदेशों से गहरे कार्य अनुभव एवं संसाधनों के साथ लौट रहे प्रवासी देश की नई आर्थिक ताकत के रूप में रेखांकित हो रहे हैं(जयंतीलाल भंडारी,राष्ट्रीय सहारा,30.6.11)।

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