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06 जुलाई 2011

फैशन मर्केंडाइजिंग में करिअर

फैशन मर्केंडाइजिंग सिर्फ फैशन पर ही केंद्रित नहीं होता, इसमें बिजनेस सेंस, मार्केटिंग स्ट्रेटेजी और टेक्नीक पर भी अच्छी पकड़ होनी चाहिए। फैशन के क्षेत्र में हर-पल कुछ न कुछ डेवलपमेंट होते या न्यू ट्रेंड आते रहते हैं। ऐसे में, फैशन मच्रेडाइजर्स की मांग बढ़ रही है। मच्रेडाइजर दरअसल, कोऑर्डिनेटर की तरह होते हैं, जो गारमेंट डेवलपमेंट के हर स्टेज में शामिल होते हैं- कॉन्सेप्ट से लेकर सेल तक में। मच्रेडाइजर बाइंग ट्रेंड्स और बायर्स की जरूरतों की स्टडी करने के बाद ही मार्केट और प्रोडक्शन प्रोसेस के बीच संपर्क साधते हैं

फैशन मर्केंडाइजिंग वह फील्ड है जहां फैशन और बिजनेस का मेल होता है। फैशन मच्रेडाइजिंग में कई तरह के रिटेल स्टोर्स, बुटीक और होल सेलर्स फैशन मार्केटिंग में शामिल होते हैं। फैशन मर्केंडाइजर का मिशन होता है, अलग व नए फैशन को कंज्यूमर से कनेक्ट करना और क्लाइंट के इंटरेस्ट का पूर्वानुमान लगाना। फै शन मर्केंडाइजिंग सिर्फ फैशन पर ही केंद्रित नहीं होता, इसमें बिजनेस सेंस, मार्केटिं ग स्ट्रैटजी और टेक्नीक पर भी अच्छी पकड़ होनी चाहिए। फैशन क्षेत्र में हर-पल कुछ न कुछ डेवलपमेंट व न्यू ट्रेंड आते ही रहते हैं, ऐसे में फै शन मच्रेडाइजर्स की मांग बढ़ती ही जा रही है। जो लोग क्रिएटिव हैं, उनके लिए यह फील्ड बेहतरीन करियर ऑप्शन हो सकता है। मुख्य रूप से फै शन मर्केंडाइजिंग में फिनिश्ड प्रोडक्ट के सेल और डिस्ट्रीब्यूशन का कार्य शामिल हो ता है। मर्केंडाइजर दरअसल, कोऑर्डिनेटर की तरह होते हैं जो गारमेंट डेवलपमेंट के प्रत्येक स्टेज में शामिल होते हैं जैसे कॉन्सेप्ट से लेकर सेल तक। मर्केंडाइजर बाइंग ट्रेंड्स और बायर्स की जरूरतों की स्टडी करने के बाद ही मार्केट और प्रोडक्शन प्रोसेस के बीच संपर्क साधते हैं। साथ ही, वे बिजनेस प्लानिंग, एनालिसिस, बायर मैनेजमेंट, ऑर्डर फुलफिल्मेंट और प्रोडक्ट डेवलपमेंट भी शामिल होते हैं।

महत्व-

फैशन जगत में लगातार बदलाव होने के कारण यह पूरी तरह से प्रतिस्पर्धात्मक फील्ड है। फैशन मर्केंडाइजर मैन्युफैक्चरिंग, सेलिंग, प्रोमोटिंग या बाइंग में विशेषज्ञ होते हैं। इस फील्ड में टिके रहने के लिए यह जानना जरूरी है कि लोगों की पसंद क्या है और भविष्य में उनकी डिमांड क्या होगी। इस फील्ड में कुशल, क्रिएटिव व अनुभवी लो ग ही सफल हो पाते हैं क्योंकि कई एथेनिक बैकग्राउंड और लाइफस्टाइल से संबंधित लोगों से एकमत होने के साथ उनसे मिलना-जुलना भी पड़ता है। साथ ही, फैशन मच्रेडाइजर को विदेशों में भी कभी-कभी काम के सिलसिले में ट्रैवल करना पड़ता है ताकि मटीरियल लेने के साथ डिफरेंट क्लाइंट्स और मैन्युफैक्चर्स से डील किया जा सके।

फंक्शन-

चूंकि उत्पाद या माल लोगों को पसंद आना चाहिए, इसलिए फैशन मच्रेडाइजर के कार्य फैशन शो अटेंड करना, सप्लायर्स और रिटेल आउटलेट्स के साथ बातचीत करना, नए फैशन का एडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग करना और स्टोर डिस्प्ले क्रिएट करना है।

गुण-


फैशन मर्केंडाइजर्स का न सिर्फ इस फील्ड में इंटरेस्ट होना चाहिए बल्कि फैशन के लिए पैशन भी होना चाहिए। जैसे शूज से अंडरगारमेंट्स, क्लोद्स और एक्सेसरीज में न्यू ट्रेंड क्या है, इस पर पैनी नजर होने की योग्यता होनी चाहिए। कौन सा फैब्रिक किसके साथ मैच करेगा, मटीरियल, फैब्रिक और पैटर्न मिक्स करना, रंगों का सेलेक्शन व समझने में एक्सपर्ट होना भी जरूरी है। क्रिएटिव व्यक्ति इस प्रोफेशन में बेहतर कर सकता है क्योंकि जितना ही आप क्रिएटिव होंगे, सीमित दायरे से परे सोच कर न्यू आइडियाज डेवलप कर सकते हैं। साथ ही, एनालिटिकल एबिलिटी, बजट निर्धारित करने का भी गुण होना चाहिए। सफल मच्रेडाइजर को टेक्सटाइल की गूढ़ समझ होने के साथ बेहतर कम्युनिकेशन क्षमता भी होनी चाहिए।

कोर्स-

कई फैशन इंस्टीटय़ूट इस फील्ड में डिफरेंट कोर्स ऑफर करते हैं। कोर्स क्रिएटिव स्किल्स, फैशन नॉलेज और मार्केटिंग ट्रेंड्स के साथ कम्बाइन होते हैं। चार साल का अंडर-ग्रेजुएट और दो साल का पोस्ट-ग्रे जुएट कोर्स फैशन मच्रेडाइजिंग में होता है। अंडर-ग्रेजुएट कोर्स उन छात्रों के लिए है , जो 10+2 की परीक्षा किसी भी विषयों से उत्तीर्ण हो चुके हों। फिर भी, सिर्फ ग्रेजुएट स्टूडेंट ही फैशन मच्रेडाइजिंग के फील्ड में पोस्ट-ग्रेजुएट कोर्स के लिए योग्य हैं। इन कोर्सेज में फैब्रिक, फाइबर्स, बुनावट, कटिंग, सिलाई, फिनिशिंग में बेसिक समझ के साथ इंटरनेशनल मार्केटिंग और ट्रेड के ज्ञान पर भी शिक्षा दी जाती है।

करियर प्रॉस्पेक्ट्स

ट्रेंड फैशन मर्केंडाइजर किसी भी डोमेस्टिक, फॉरेन लाइफस्टाइल या फैशन कंपनी के साथ काम कर सकते हैं। रेडी-टू-वियर प्रोडक्शन कंपनी और लार्ज रिटेलर्स, चेन स्टोर्स में जॉब उपलब्ध है। एक्सपोर्ट फैब्रिकेशन कंपनी, एक्सपोर्ट हाउस भी मच्रेडाइजर्स की नियुक्ति करते हैं ताकि फॉरेन रिटेल स्टोर्स और प्रोडक्शन हाउसेज के बीच कोऑर्डिनेट कर सकें। साथ ही, फैशन डिजाइनर के साथ भी कार्य करने का मौका मिलता है ताकि लेटेस्ट ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए नए प्रोडक्ट के साथ मार्केट में आ सकें। इसके अलावा, विजुअल मच्रेडाइजिंग में भी स्कोप होता है, जहां प्रोडक्ट विजुअल डिस्प्ले के तहत प्रमोट किया जाता है। साथ ही, डिपार्टमेंटल स्टोर्स, बुटीक, क्लोदिंग होल-सेलर्स, इम्पोर्टर्स, डिजाइनर्स और मैन्युफैक्चर्स जैसे रिटेल मैनेजमेंट के साथ भी काम करने की ढेरों संभावनाएं हैं। अनुभव होने पर खुद का एक्सपोर्ट हाउस भी खोल कर अच्छी कमाई की जा सकती है।

वेतन-

फैशन  मर्केंडाइजिंग इंडस्ट्री में सैलरी आपके कौशल और योग्यता से निर्धारित होती है। फ्रेश ग्रेजुएट के लिए नॉर्मल पे पैकेज 15 से 20 हजार प्रत्येक महीने होती है। कुछ सालों के अनुभव के बाद कोई भी व्यक्ति 30 से 40 हजार प्रत्येक महीने कमा सकता है। आप चाहें तो कुछ सालों कमा कर अपना खुद का एक्सपोर्ट हाउस खोल लें और धीरे-धीरे जब कमाई अच्छी होने लगे, तो बिजनेस को एक्सपैंड भी कर सकते हैं।
(अंशुमाला,राष्ट्रीय सहारा,5.7.11)

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