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07 जुलाई 2011

करिअर के लिए ज्योतिषी की राय का रोग लगा चंडीगढ़वासियों को

किस्मत को सही करने के लिए गए थे ज्योतिषियों के पास, खुद को एक नई बीमारी लगा बैठे। बार-बार धोखा खाया मगर आज भी दिन की शुरुआत डेली हॉरोस्कोप पढ़कर करते हैं।

टीवी, अखबार और ज्योतिषियों की बातें मानकर शहर के कई लोग हो रहे हैं मानसिक बीमारियों के शिकार। अब आखिरी राह के तौर पर पकड़ी है काउंसलिंग की डगर।

राघवेंद्र शर्मा पेशे से बिजनेसमैन हैं और इन दिनों पंचकूला के डॉ. प्रभात सूद से अपना ट्रीटमेंट करवा रहे हैं। बीमारी बड़ी भी नहीं पर छोटी भी नहीं।

जीरकपुर में छोटी सी इलैक्ट्रिक शॉप है। इन दिनों बिजनेस में ध्यान नहीं दे पा रहे और नुकसान भी उठा रहे हैं। वजह हैं एक ज्योतिषी जी। पांच साल पहले राघवेंद्र किसी दोस्त के कहने से एक ज्योतिषी के पास गए।
ज्योतिषी ने अनजाने में उनके मन की बात कह दी। इस पर उनका विश्वास इतना बढ़ गया कि हर काम से पहले सलाह लेने लगे। इस राह पर चलकर आगे खुद को लुटा बैठे। पता चला कि वो ज्योतिषी जी फ्रॉड थे। अब राघवेंद्र नए ज्योतिषी की तलाश में है और इसलिए घरवालों ने उनकी काउंसलिंग शुरू करवा दी।
टीवी देखकर,अखबार पढ़कर और असल ज्योतिषी की सलाह से धोखा खा चुके ऐसे बहुत से शहर के लोग हैं जो इन दिनों अपनी काउंसलिंग करवा रहे हैं।

दिल है कि मानता नहीं
पहले मिलिए थिएटर आर्टिस्ट जश्न जोत सिंह से। वो मानते हैं कि इन बातों पर यकीन नहीं करना चाहिए पर सुबह उठते ही हॉरोस्कोप चैक करते है। कहते हैं, ‘हॉरोस्कोप अखबार का हिस्सा है इसलिए दूसरे कॉलम की तरह इसे पढ़ने में कोई बुराई नहीं। जानता हूं कि मेरी राशि के कई लोग इस संसार में है जिन्हें ध्यान में रखकर यह लिखा जाता है। पर आदत हो गई है। रिश्तों और हेल्थ से जुड़ी हर बात बड़े ध्यान से पढ़ता हूं।

गुस्सा तब आता है जब मेरी हेल्थ पहले से खराब हो और हॉरोस्कोप में एक हफ्ते बाद छपा मिले। लगता है कि पहले छपा होता तो मैं आज बीमार नहीं होता।’ कोई पंडित जी भी किसी की लत बन सकते, इस पर यकीन न हो तो राघवेंद्र से मिलिए।


उपाय ढूंढते हुए कहते हैं, ‘उन पंडित पर इतना यकीन करने लगा कि मेरा काम खोटी होने लगा। उनकी सच्चई मालूम चली तो भी हॉरोस्कोप पढ़ने की आदत नहीं गई। उल्टे ये सोचने लगा कि कोई दूसरा ज्योतिषी मेरे धोखा खाने की वजह बता सकता है। घरवाले काफी नाराज हुए और मेरी काउंसलिंग शुरू करवा दी।’


जीनियस की भी काउंसलिंग 
साइकॉलजिस्ट राजश्री शारदा की मानें तो ज्योतिषियों पर सिर्फ अनपढ़ ही नहीं बल्कि एमबीबीएस, स्टूडेंट, हाउसवाइफ सब भरोसा करते हैं। खुद पर यकीन नहीं करने वाले ये लोग एस्ट्रो एडिक्ट होते हैं। खुद के बारे में हमेशा अच्छा सुनने की आदत इन्हें हो जाती है। काउंसलिंग करवाने वाले बहुत लोग नाराज होकर कहते हैं कि मैंने उनपर भरोसा किया पर उन्होंने धोखा दिया। शारदा कहती हैं, ‘हर चीज का कारण और परिणाम होता है, जिसे समझना जरूरी है। 

मगर एस्ट्रो एडिक्ट ये बात नहीं समझता। जब हाल बिगड़ जाते हैं तो काउंसलिंग करवाता है।’ अपने हालिया केस के बारे में वह बताती हैं, ‘इनदिनों में मेरे पास आईआईटी क्वालिफाई कर चुका एक लड़का काउंसलिंग करवा रहा है। लड़का जीनियस है, पर कर्म से ज्यादा भाग्य पर भरोसा करता है। उसे लगता है कि मेहनत से कुछ नहीं होता, हर चीज किस्मत से मिलती है।’

अनपढ़ से गया गुजरा पढ़ा-लिखा 
बिजनेसमैन नरेश कुमार नरूला पिछले 15 साल से एक ज्योतिषी के पास जाते हैं। इस विद्या पर इतना यकीन है कि अपना हर छोटा-बड़ा काम उनसे पूछे बिना नहीं करते।

बिजनेस में क्या कदम उठाऊं से लेकर घर में ये नया सामान लाऊं न लाऊं तक। पूछने पर कहते हैं, ‘मुझे उनसे न फायदा हुआ है न नुकसान। ये भी जानता हूं कि कर्म के बिना कुछ नहीं मिलता, पर उन ज्योतिषी के पास जाना नहीं छोड़ सकता। 

टीवी पर भी ऐसे सभी प्रोग्रेम देखता हूं। जिस दिन हॉरोस्कोप अच्छा सुनता हूं, उस दिन तो ठीक, लेकिन जिस दिन कुछ बुरा-अशुभ बता दिया जाता है उस दिन बस डर बैठ जाता है। जिस दिन बिजनेस में नुकसान होने की बात बता देते हैं, उस दिन कोई बड़ी डील नहीं करता हूं।’ ऐसे केसेज पर डॉ. प्रभात सूद कहते हैं कि ज्योतिष विद्या पर अंधा विश्वास करने वाले कम नहीं हैं। 

बस अनपढ़ सबके सामने स्वीकार कर लेते है और पढ़े-लिखे को यह बताने में शर्म आती है। वह कहते हैं, ‘मेरे पास आने वाले ज्यादातर लोग बात मन में ही रखते हैं। बहुत कम हैं जो काउंसलिंग से खुद को ठीक कराना चाहते हैं।

कई ऐसे भी हैं जिन्हें पता है कि पंडितों के चक्कर काटने से कुछ नहीं होगा मगर लत की वजह से रेग्युलर उनके पास जाते रहते हैं।’ वहीं डॉ. भूपेंद्र वड़ैच मानती हैं कि ज्योतिष मन बहलाने का शॉर्ट कट है। उनके अनुभव हैं कि पढ़े-लिखे लोग खुलकर बताते नहीं है। काउंसलिंग के लिए आने वाले ऐसे लोग इस बारे में अपने हस्बैंड या वाइफ को भी नहीं बताना चाहते हैं।

भाग्य की भूमिका 70 पर्सेट होती है, पर कर्म ज्यादा जरूरी हैं। अगर बच्चा पढ़ेगा ही नहीं तो पास कैसे होगा। लोगों को भ्रमित करते हैं तांत्रिक विद्या वाले।-मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिषी 
मेरे पास ऐसे केस भी आए हैं जहां एक जगह धोखा खा चुके वही गलती दोहराते हैं। ऐसे हस्बैंड की वाइफ परेशान होकर साइकैट्री का सहारा लेती हैं-डॉ. प्रभात सूद, साइकैट्रिस्ट(एकता सिन्हा,दैनिक भास्कर,चंडीगढ़,7.7.11)

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