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05 जुलाई 2011

इंदौरःसेंट्रल बैंक में क्लोज वैकेंसी बताकर खुलेआम ठगी

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में क्लोज वैकेंसी पर नियुक्ति का लालच देकर संजय पाठक नाम के व्यक्ति ने इंदौर के कई छात्रों को ठग लिया है। खुद को बैंक का कर्मचारी बताने वाले इस व्यक्ति ने इंदौर के कई कोचिंग संस्थानों में जाकर छात्रों को नौकरी का लालच दिया और बैंक की लिखित परीक्षा देने के बजाय क्लोज वैकेंसी में नौकरी दिलाने का कहकर प्रत्येक से एक लाख रु. की मांग की।

नौकरी की जरूरत वाले कुछ लोगों ने जब संजय से संपर्क किया तो उसने एडवांस के तौर पर 50 हजार रुपए ले लिए और एक महीने के अंदर नौकरी दिलाने का वादा भी कर दिया। मार्च में लोगों ने इस व्यक्ति को पैसा दिया था लेकिन अप्रैल और फिर मई गुजरने के बाद बाद भी जब नौकरी लगने के संबंध में कोई कार्रवाई होती नहीं दिखी तो लोगों ने संजय से संपर्क किया लेकिन उसने कहा कि अभी क्लोज वैकेंसी पर रोक लगी है तो जून अंत तक जरूर रोक हट जाएगी।


पड़ताल के बाद जब छात्रों को पता चला कि बैंक में क्लोज वैकेंसी तो होती ही नहीं है और संजय द्वारा उन्हें ठग लिया गया है तो उन्होंने फिर से संजय से संपर्क किया लेकिन अब संजय उनके संपर्क में तो है लेकिन सिर्फ फोन पर। संजय अब इन छात्रों को आश्वासन दे रहा है कि या तो जुलाई में उन्हें नौकरी दिला देगा या उनके सारे पैसे लौटा देगा। 

क्लोज वैकेंसी मतलब..
ठगने वालों ने नौकरी की तलाश कर रहे लोगों से कहा कि ओपन वैकेंसी तो आम लोगों के लिए होती है जबकि क्लोज वैकेंसी में बैंक के उच्चाधिकारी अपने आदमियों को ले सकते हैं। ऐसी वैकेंसी के न तो अखबारों में विज्ञापन आते हैं और न वेबसाइट पर ही कोई जानकारी रहती है। यह तरीका सिर्फ खास लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसी क्लोज वैकेंसी के जरिए बैंक में नौकरी दिलाई जा सकती है। जिन लोगों को बैंक भर्ती का पता न हो वे मान लेते हैं कि ऐसी कोई गुंजाइश होती होगी।

एडमिट कार्ड भी फर्जी बना डाले
ग्वालियर। बैंक में नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी इस कदर बढ़ गई है कि एक व्यक्ति ने फर्जी एडमिट कार्ड देकर ही ठगी कर डाली। एक लाख रुपए देकर सेंट्रल बैंक में नौकरी की बात कहने वाले कथित रुप से वरिष्ठ लिपिक गोविंदसिंह भदौरिया ने कई बेरोजगारों को ठग लिया। ठगे गए युवकों ने बताया कि इसमें गोविंद के ही कुछ दोस्त भी मिले हुए थे। उन्होंने ही भरोसा दिलाया था कि पैसे देकर उन्हें नौकरी मिल जाएगी। ये सभी युवक प्रदेश के विभिन्न जिलों से थे। 

10 मई तक दे दूंगा एडमिट कार्ड
गत मार्च में गोविंदसिंह ने कुछ युवकों से पैसे लेकर नौकरी दिलाने की बात कही थी, उसके बाद अप्रैल के अंतिम सप्ताह में पैसा दे चुके युवकों ने जब नौकरी के लिए दबाव बनाया तो गोविंद ने उन्हें भरोसा दिलाया कि 26 मई को क्लोज वैकेंसी की खानापूर्ति के लिए एलएनसीटी व माधव कॉलेज में परीक्षा होगी। इसके लिए उसने 10 मई को एडमिट कार्ड देने का वादा किया। 

गोविंद बार-बार बहाने बनाता रहा और नौकरी की आस में बेरोजगार युवक चुप रहे। इसके बाद 26 जून को हर-हाल में परीक्षा कराने का वादा किया लेकिन इस बार भी धोखा ही हुआ। युवकों ने जब पैसे वापस मांगने शुरू किए तो उसने अपनी सिम बदल दी। ठगे गए लोगों को जब गोविंद का नया नंबर पता चला तो उन्होंने उस पर फोन लगाना शुरू कर दिया। एक-एक करके उसने एक माह में 6 सिम बदली।

कोचिंग तक पहुंचा ठग
इंदौर। लोगों को बैंक की नौकरी के नाम पर ठगने वाले संजय पाठक ने छात्रों को यही आश्वासन दिया कि उन्हें बिना बैंक की चयन प्रक्रिया पूरी किए ही नौकरी मिल जाएगी। एक-दो मामलों में पाठक ने छात्रों से कहा कि एक नाममात्र की परीक्षा होगी जिसमें पास करवाने की गारंटी उसकी है। वहीं बाकी लोगों को तो उसने यही कहा कि बैंक में उसकी इतनी अच्छी पकड़ है कि वह चाहे जिसे क्लोज वैकेंसी में नौकरी दिला सकता है।

कैसे बना पाए एडमिट कार्ड
इंदौर/भोपाल। खुद को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में बताने वाला गोविंदसिंह भदौरिया व साहिलसिंह तोमर द्वारा ठगे गए बेरोजगार युवकों ने डीबी स्टार टीम से मामले की शिकायत की थी। जब इसकी पड़ताल की गई तो कई गंभीर सवाल सामने आए। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि फर्जी तौर पर एडमिट कार्ड दे सकने लायक जानकारी भदौरिया को कैसे मिली जिन्हें उसने ठगी का हथियार बनाया। 

ऐसे हुई मुलाकात
भिंड, ग्वालियर और कानपुर जैसी जगहों से आए इन छात्रों ने बताया कि भिंड निवासी साहिल के जरिए उनकी मुलाकात गोविंदसिंह भदौरिया से हुई थी। साहिल ने वीर सिंह को बताया कि गोविंद की बैंक में अच्छी पैठ है। गोविंद व साहिल ने मिलकर वीर सिंह को भी झांसे में ले लिया। इसके बाद वीर सिंह ने दो रिश्तेदारों और तीन अन्य युवकों को गोविंद से मिलवाकर नौकरी दिलवाने का प्रयास किया। सभी युवक वीर सिंह के भरोसे रहे और वह साहिल और गोविंद के भरोसे में। गोविंद ने इन सभी युवकों से 50-50 हजार रुपए ले लिए। इसके बाद कभी मई, तो कभी जून में परीक्षा होने की बात कहता रहा।

यह है परीक्षा की प्रक्रिया
वर्ष 1987 से पहले किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक द्वारा बाकायदा रिक्रूटमेंट परीक्षा होती है जो आईबीपीएस लेता है। छात्रों के रजिस्ट्रेशन से लेकर उन्हें एडमिट कार्ड प्रदान करने का कार्य वही करता था। वर्तमान में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित परीक्षा में आवेदकों को जो एडमिट कार्ड दिया जाता है, उस पर आवेदक का फोटो लगा रहता है व 16 अंकों का एक कोड होता है। आवेदक को कार्ड के साथ एक किट दी जाती है, जिसमें परीक्षा का सैंपल पेपर होता है, जिससे उसे जानकारी हो जाए कि परीक्षा में किस-किस विषय से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे, साथ ही उसे एक ओएमआर शीट भी दी जाती है। इनके अलावा आवेदक को दिशा-निर्देश भी दिए जाते हैं।

क्लोज वैकेंसी का झांसा
बेरोजगार युवकों को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी दिलाने के लिए गोविंद व साहिल ने क्लोजवी के लिए आवेदन करवाने की बात कही थी। जब इस मामले में युवकों ने गोविंद से ज्यादा पूछताछ की, तो उसने बताया कि ओपन वैकेंसी तो आम लोगों के लिए होती है। क्लोज वैकेंसी में बैंक के उच्चाधिकारी अपने आदमियों को फिट करवाते हैं। इस क्लोज वैकेंसी के लिए न तो कभी अखबारों में विज्ञापन निकलता है और न ही वेबसाइट पर ही कोई जानकारी रहती है। यह तरीका सिर्फ खास लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसी क्लोज वैकेंसी में वह उन युवकों को भी फिट करवा देगा। यह बात सुनकर सारे युवक आश्वस्त हो गए कि गोविंद उनकी नौकरी लगवा ही देगा(अविनाश रावत,दैनिक भास्कर,इन्दौर,5.7.11)।

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