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13 जुलाई 2011

यूपीःब्याजमुक्त ऋण से बीएड की पढ़ाई अभी सपना

बैंक से ब्याज मुक्त ऋण लेकर पढ़ाई करने का सपना संजोये बीएड अभ्यर्थियों को झटका लग सकता है। निजी क्षेत्र के बीएड महाविद्यालयों की फीस तो तय हो गयी है, लेकिन बैंकों की ऋण स्वीकृत कराने की प्रक्रिया इसमें एक बड़ी बाधा है। 14 जुलाई से शुरू हो रही काउंसलिंग के बाद महाविद्यालय आवंटित होते ही तीन दिनों में 46251 रुपये की फीस एकमुश्त भरनी होगी। इतने कम समय में बैंक ऋण नहीं दे सकेंगे। ऐसे में बीएड की पढ़ाई के लिए कमजोर तबके के छात्रों को निजी तौर ही फीस की रकम का इंतजाम करना होगा। छात्र-छात्राएं परेशान हैं वहीं बैंकें भी हलकान हैं। उन्हें ब्याज मुक्त ऋण देने के बाबत अभी तक कोई फरमान नहीं मिला है। केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के फैसले के बाद साढ़े चार लाख तक सालाना आय वाले अभिभावकों के बच्चों की पढ़ाई के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने का एलान करीब एक महीने पहले ही कर दिया गया है, लेकिन बैंकों की शाखाओं पर अभी तक न तो उनके मुख्यालय या न ही भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से ही इस बावत कोई सकरुलर मिला है। छह हजार की मेरिट लाने वाली रश्मि चौरसिया के पिता ने जब एक राष्ट्रीकृत बैंक की शाखा से ब्याज मुक्त ऋण के बारे में जानकारी ली तो उन्हें निराशा हाथ लगी। बैंक के अधिकारियों ने अभी कोई आदेश नहीं आने की जानकारी देकर उन्हें लौटा दिया। अब बिटिया के सपनों को पंख देने के लिए उन्हें 51250 रुपये की रकम का इंतजाम करना होगा। यह धनराशि उन्हें दो किस्तों 5000 व सीट आवंटन से तीन दिनों में 46250 रुपये देने होंगे। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष बीएड की फीस 30359 रुपये होने के बाद भी कई संस्थाओं में जबरिया फीस की उगाही की शिकायतें मिली थीं। बुंदेलखण्ड व पूर्वाचल के कई अभिभावकों को खेती व अन्य कीमती चीजों की गिरवी रखने की शिकायतें शासन से लेकर राजभवन तक पहुंची थी। ऐसे में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की घोषणा के बाद अभिभावक ब्याज मुक्त ऋण से अपने लाड़ली-लाड़ले को पढ़ाकर सपनों को पूरा करने की हसरत संजोने लगे थे, लेकिन उनको धक्का लग सकता है(कमल तिवारी,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,13.7.11)।

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