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11 जुलाई 2011

नेशनल नॉलेज नेटवर्क से जुड़ा अजमेर

बीएसएनएल के एनकेएन (नेशनल नॉलेज नेटवर्क) में देश के 300 विश्वविद्यालयों में ब्राडबैंड सामान्य गति से 4 हजार गुना तेज दौड़ रहे हैं। इस नेटवर्क की रफ्तार में अब महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय तथा भगवंत यूनिवर्सिटी शामिल हो चुकी है।

अगस्त के अंतिम सप्ताह में बांदरसिंदरी स्थित सेंट्रल यूनिवर्सिटी भी इस नेटवर्क जुड़ जाएगी। इस नेटवर्क से देश की किसी भी यूनिवर्सिटी से पलक झपकते ही मांगी गई जानकारी छात्रों को मिल सकेगी। इससे शिक्षा के क्षेत्र में एक नई शुरुआत होगी जो छात्रों के भविष्य की राह आसान करेगी। सामान्य तौर पर ब्रांड बैंड की गति 256 केबीपीएस होती है। मगर इस नेटवर्क से जुडे ब्रांड बैंड सामान्य से भी 4 हजार गुना तेज दौड़ते हैं। बीएसएनएल और मिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्सेज डवलपमेंट की ओर से फैलाए जा रहे इस नेटवर्क में तकनीकी तैयारियों को बीएसएनएल पूरा कर रहा है।

इसमें प्रत्येक यूनिवर्सिटी के लिए यह प्रोजेक्ट करीब 2 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट है। इसमें 10 सालों तक यह कनेक्टिविटी चलेगी। उक्त राशि 10 फीसदी बीएसएनएल, 25 प्रतिशत संबंधित यूनिर्वसिटी तथा 75 प्रतिशत राशि मिनिस्ट्री ऑफ हूमन रिसोर्सेज डवलपमेंट की ओर से खर्च की जा रही है। देशभर में फैलाए जा रहे इस नेटवर्क का उपयोग मदस और भगवंत यूनिर्वसिटी में शुरू हो चुका है। वहीं सेंट्रल यूनिर्वसिटी ने भी इस नेटवर्क से जुड़ने में सहमति जता दी है। अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में वहां पर नेटवर्क का काम शुरू कर दिया जाएगा।


आईटी और रफ्तार का अनूठा मेल: इन्फरेमेशन टेक्नॉलोजी एवं ब्राडबैंड रफ्तार का यह अनूठा मेल है, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव कर दिया है। इस नेटवर्क के जरिए किसी भी विवि में बैठा छात्र देश किसी भी विवि से संपर्क कर सकता है।

इतने फायदे: इस नेटवर्क से जुड़ने के बाद छात्र अपनी पढ़ाई में मदद के लिए किसी भी विवि से तत्काल संपर्क कर वहां से लेक्चर, प्रेक्टिकल वर्क, क्लासेज, नोट्स, परीक्षाएं समेत अन्य कई तरह की जानकारियों को तत्काल ब्रांड बैंड के जरिए हासिल कर सकता है।

देश के विवि को जोड़ने के लिए तैयार किए गए नेशनल नॉलेज नेटवर्क से अजमेर जिले से मदस, भगवंत यूनिवर्सिटी जुड़ चुके हैं। सेंट्रल यूनिवर्सिटी से बात हो गई है, वहां अगस्त के अंतिम सप्ताह में कार्य शुरू हो जाएगा। देश की कई यूनिवर्सिटी इस नेटवर्क में शामिल हो चुकी हैं, कई होने जा रही हैं। इससे विवि के छात्र ब्रांड बैंड के जरिए अपने अध्ययन को गुणवत्ता पूर्ण बनाने के लिए दूसरे विवि से संपर्क कर सकेंगे। - अनुपम श्रीवास्तव, जीएम बीएसएनएल(गिरीश दाधीच,दैनिक भास्कर,अजमेर,11.7.11)

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