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15 जुलाई 2011

छत्तीसगढ़ःबीई की काउंसिलिंग पर रोक लगाने से इनकार

तकनीकी शिक्षा संचालनालय की ओर से गुरुवार से शुरू की गई ऑनलाइन काउंसिलिंग के खिलाफ निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों ने मोर्चा खोल दिया है।

सेकंड शिफ्ट की 07 और 42 से ज्यादा निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों में नई ब्रांच और सीटों को काउंसिलिंग में शामिल नहीं किए जाने की वजह से इन कॉलेजों ने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। कोर्ट ने काउंसिलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। मामले की अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी।

हर साल सैकड़ों की संख्या में इंजीनियरिंग की सीटें खाली रह जाने की वजह से तकनीकी शिक्षा विभाग ने इस साल सेकंड शिफ्ट के सात कॉलेजों की लगभग 520 सीटों के प्रवेश पर रोक लगा दी। विभाग का कहना है कि पहले शिफ्ट की कॉलेजों में सीटें भर नहीं पातीं ऐसे में दूसरी पाली के कॉलेजों का कोई औचित्य ही नहीं है।

42 से ज्यादा निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों ने कई नए ब्रांचों के साथ सीटों की बढ़ोतरी के लिए आवेदन किया था। तकनीकी शिक्षा संचालनालय ने इन्हें भी ऑनलाइन काउंसिलिंग से बाहर कर दिया। सरकार के इस फैसले से नाराज कॉलेजों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।


सरकार रोक नहीं लगा सकती

कॉलेजों के संचालकों का कहना है कि एआईसीटीई ने निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को सेकंड शिफ्ट चलाने और इंफ्रास्ट्रक्चर के अनुसार सीटें बढ़ाने की अनुमति दी है। ऐसे में राज्य सरकार इन कॉलेजों पर पाबंदी नहीं लगा सकती। प्रदेश में सेकंड शिफ्ट वाले केवल सात कॉलेज हैं। ये कॉलेज एक ही बिल्डिंग में दोनों शिफ्ट के कॉलेज संचालित कर रहे हैं। वे बेहतर सुविधाएं दे रहे हैं। 

सीटें ज्यादा हो जाएंगी, छात्र कम 

एआईसीटीई की अनुमति मिलने के बाद राज्य सरकार इन कॉलेजों की सीटों को काउंसिलिंग में शामिल करती है तो केवल 25 इंजीनियरिंग कॉलेजों की सीटें ही 25 हजार से अधिक हो जाएंगी। संचालनालय के पास दाखिले के लिए लगभग 22 हजार ही आवेदक आए हैं। इसके बाद भी तीन हजार से ज्यादा सीटें खाली रह जाएंगी। 

माना जा रहा है कि आवेदकों में पूरे राज्य में एडमिशन लेते भी नहीं है। अधिकांश छात्र एआईट्रिपलई से एनआईटी और आईआईटी कॉलेजों में एडमिशन ले लेते हैं।

हाल-बेहाल फिर भी चाहिए सीटें

छत्तीसगढ़ में तीन शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों के साथ 47 प्राइवेट कॉलेज हैं। इनमें से अधिकांश कॉलेजों के पास बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। कॉलेजों को कुछ कमरों में चलाया जा रहा है। हाईटेक सुविधाओं के नाम पर भी छात्रों को धोखा दिया जा रहा है। कॉलेज में पर्याप्त स्टाफ और सुविधाओं की भी बेहद कमी है। इसके बाद भी निजी इंजीनियरिंग कॉलेज सीटें बढ़ाने के फैसले पर अडिग हैं।

तकनीकी शिक्षा विभाग उच्च न्यायालय में अपना पक्ष मजबूती से रखेगा। फिलहाल कोर्ट ने किसी भी तरह की रोक से इनकार किया है। 
के सुब्रमण्यम, डायरेक्टर, तकनीकी शिक्षा संचालनालय

सेकंड शिफ्ट वाले कॉलेजों और प्रदेश के 80 फीसदी इंजीनियरिंग कॉलेजों में नई ब्रांच की सीटों को इस वर्ष की काउंसिलिंग में शामिल नहीं किए जाने के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। 
संजय रूंगटा, अध्यक्ष, एपिक (एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज)(दैनिक भास्कर,रायपुर,15.7.11)

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