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20 जुलाई 2011

तेज होगा राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए आंदोलन

अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा संघर्ष समिति के संस्थापक व अंतरराष्ट्रीय संगठक लक्ष्मण दान कविया ने कहा कि राज्य व केंद्र सरकार भारत के सबसे बड़े प्रदेश व विश्व के 16 करोड़ लोगों की मातृ भाषा राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता को लेकर संवेदनहीन हैं, लेकिन संघर्ष समिति इसके लिए दृढ़ संकल्पित हैं और मान्यता के लिए आंदोलन को तेज करने की रणनीति बना चुकी हैं।

यह बात उन्होंने मंगलवार को दैनिक भास्कर से विशेष भेंट में कही। कविया अपनी एक दिन की निजी यात्रा के दौरान सलूंबर प्रवास पर थे। उन्होंने बताया कि राजस्थानी को मान्यता दिलाने के लिए संघर्ष समिति आगामी 25 अगस्त को संकल्प दिवस के रूप में मनाएगी।

इसी दिन जयपुर के स्टेच्यू सर्कल पर धरना देकर मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर केंद्र सरकार पर मान्यता के लिए दबाव की मांग की जाएगी।


कविया ने बताया कि 25 अगस्त, 2003 को विधानसभा में राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित करवाने के लिए सर्व सम्मति से संकल्प पारित कर केंद्र को भेजा था। अब राज्य सरकार को संवेदनशीलता दिखाते हुए केंद्र को पत्र लिखना चाहिए। 

उन्होंने देश की आजादी के 64 वर्ष बाद भी राजस्थानी भाषा को उसका हक नहीं मिलने पर खेद प्रकट करते हुए कहा कि मान्यता को लेकर सरकार की नीति स्पष्ट नहीं हुई तो समिति के बैनर तले शीतकालीन सत्र के दौरान दिल्ली में क्रमिक अनशन करने के साथ ही आंदोलन को तेज किया जाएगा(दैनिक भास्कर,सलूंबर/उदयपुर,20.7.11)।

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