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07 जुलाई 2011

फर्जी मार्क्‍सशीट लेकर डीयू में दाखिला लेने की मणिपुरी छात्रों की कोशिश नाकाम

डीयू में ग्रेजुएशन में दाखिले की चाह रखने वाले उन छात्रों के लिए अनुसूचित जाति-जनजाति कोटा खासा मददगार साबित हो रहा है, जो कटऑफ की दौड़ में कहीं नहीं ठहर पा रहे हैं। ओबीसी व अनुसूचित जाति के फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर दाखिला दिलाने वाले गिरोह की पड़ताल अभी पूरी भी नहीं हुई है कि दो मणिपुरी छात्र फर्जी मार्क्‍सशीट लेकर सत्यवती प्रात: कॉलेज पहुंच गए।

विश्वविद्यालय के अनु़सूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) सेल से दाखिले की दूसरी सूची में कोटे की सीटों पर दाखिला स्लिप पाने वाले ये दोनों ही छात्र बीए (ऑनर्स) राजनीति विज्ञान में दाखिला चाहते थे। कॉलेज ने जब दोनों की मार्क्‍सशीट की जांच परिणामों की सीडी से की तो पता चला कि दोनों ही छात्र 12वीं फेल हैं और फर्जी मार्क्‍सशीट से दाखिले के लिए पहुंचे हैं।

कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. शमशूल इस्लाम से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मामला बेहद संजीदा है और चूंकि इसका सम्बंध एससी-एसटी सेल से है, इसलिए उन्होंने इसकी पूरी जानकारी डीन छात्र कल्याण कार्यालय को सौंप दी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मणिपुर से आए दोनों ही छात्रों को अनुसूचित जनजाति कोटे के सत्यवती कॉलेज में दाखिले के लिए दाखिला स्लिप जारी हुई थी।


कोटे के लिए जारी दूसरी सूची के तहत मिले इस अवसर को पाकर इन छात्रों ने कॉलेज का रुख किया और वहां जब दस्तावेजों की जांच हुई तो फेल छात्रों की पोल खुल गई। इसके बाद कॉलेज ने कार्रवाई अंजाम देते हुए न सिर्फ इनके दस्तावेजों को जमा कर लिया, बल्कि समूचे प्रकरण की जानकारी बुधवार शाम डीन छात्र कल्याण कार्यालय को भी दे दी।


कॉलेजों को दाखिले से पहले ही करनी चाहिए दस्तावेज की पड़ताल: 

इस मामले में जब एससी-एसटी सेल के आधिकारियांे से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि दाखिला स्लिप जारी करते समय सेल की ओर से कॉलेजों को स्पष्ट कर दिया जाता है कि वे तमाम दस्तावेजों की पड़ताल कर लें, ऐसे में कॉलेज के स्तर पर जरूरी हो जाता है कि बिना जांच के किसी भी छात्र को दाखिला न दे। 

याद रहे कि मॉर्क्‍सशीट के स्तर पर फर्जीवाड़े की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले बीते सत्र में ही शहीद भगत सिंह कॉलेज में बीकॉम में 12 ऐसे ही छात्र-छात्राओं के दाखिले के मामले का खुलासा हुआ था, जिन्होंने मार्क्‍सशीट में सीबीएसई से मिले नम्बर को बढ़ा दिया था। 

यहां भी फजीवाड़े को पकड़ने में सीबीएसई बोर्ड से आई नतीजों की सीडी ही मददगार साबित हुई थी। 

मामला गंभीर, कड़ी कार्रवाई होगी

डीन छात्र कल्याण प्रो. जेएम खुराना से जब इस बाबत पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मामला गम्भीर है और यदि सचमुच ऐसा पाया गया कि फर्जीवाड़े के तहत अनुसूचित जनजाति कोटा पाकर छात्र दाखिले की कोशिश में जुटे थे तो विश्वविद्यालय उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई अंजाम देगा। उन्होंने कहा कि फर्जी दाखिलों को लेकर हमेशा से ही विश्वविद्यालय सख्त रहा है और इस बार भी कार्रवाई में कोई कसर नहीं रखी जाएगी(शैलेन्द्र सिंह,दैनिक भास्कर,दिल्ली,7.7.11)।

राष्ट्रीय सहारा में राकेश नाथ की रिपोर्टः
दिल्ली विविद्यालय में अनुसूचित जनजाति कोटे के दाखिले में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इस बार दो विद्यार्थियों ने फर्जी मार्कशीट के जरिये कॉलेज में दाखिला ले लिया। हालांकि मार्कशीट की जांच में दोनों पकड़े गये। इसके बाद कॉलेज ने दोनों विद्यार्थियों का दाखिला रद्द कर दिया। सत्यवती कॉलेज में मणिपुर के अनुसूचित जनजाति के दो विद्यार्थी फर्जी मार्कशीट के तहत दाखिला लेने के प्रयास में पकड़े गये है। दोनों विद्यार्थी बारहवीं में फेल हो गए थे लेकिन उन्होंने अच्छे अंक प्रतिशत वाली फर्जी मार्कशीट दिखाकर विविद्यालय में पंजीकरण करवा लिया था। यहां से दाखिला स्लिप लेकर जब वे कॉलेज पहुंचे तो मार्कशीट जांच में फर्जी पाई गई। हालांकि दोनों विद्यार्थी पकड़े नहीं गये हैं। कारण यह है कि प्रमाणपत्रों की जांच बाद में की गई, तब तक विद्यार्थी जा चुके थे। इस बाबत कॉलेज प्रशासन ने कहा कि उसने डीयू के डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर को जानकारी दे दी है। उधर डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो जेएम खुराना ने कहा कि शाम तक उनके पास ऐसी कोई जानकारी नहीं आई है। यदि ऐसी कोई जानकारी मिलती है तो इस संबंध में सख्त कार्रवाई की जाएगी। यहां एक और हैरानी में डालने वाली बात यह भी है कि दाखिला स्लिप जारी करने से पूर्व डीयू द्वारा एससी-एसटी वर्ग की मार्कशीट और प्रमाणपत्रों की जांच नहीं की जाती है। बल्कि दाखिला स्लिप में कॉलेज को हिदायत दी जाती है कि वे दस्तावेजों की जांच के बाद ही एडमिशन दें। जानकारी के अनुसार मणिपुर के दो विद्यार्थी डीयू की दूसरी दाखिला सूची के बाद जारी एडमिशन स्लिप को लेकर सत्यवती कॉलेज पहुंचे। इन विद्यार्थियों ने अपना पंजीकरण विविद्यालय में कराया था। डीयू से दाखिला स्लिप मिलने के बाद वे बड़ी खुशी के साथ सत्यवती कॉलेज में दाखिला लेने पहुंच गये। यहां उन्होंने फर्जी मार्कशीट के आधार पर बाकायदा दाखिला फॉर्म भी भर दिया। उनकी मार्कशीट और दाखिला स्लिप देखकर उन्हें दाखिला भी दे दिया गया। लेकिन कॉलेज द्वारा बाद में जब मार्कशीट की जांच की गई तो मार्कशीट फर्जी पाये गये। लेकिन तब तक विद्यार्थी दाखिला लेकर जा चुके थे। इसके बाद कॉलेज प्रशासन ने डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर को पत्र द्वारा इसकी जानकारी दी। कॉलेज प्राचार्य डॉ शम्सुल इस्लाम से जब संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि यह विविद्यालय और कॉलेज के बीच का अति गोपनीय मामला है और इस बारे में कुछ बता नहीं सकते हैं। बता दें कि अभी हाल में ही क्राइम ब्रांच ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र से दाखिले का भंडाफोड़ किया है।

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