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02 जुलाई 2011

छत्तीसगढ़ःबिना संसाधन और प्राध्यापक के ही नए पाठ्यक्रम शुरू

नए पाठच्यक्रमों के लिए पत्रकारिता वि.वि. कितना तैयार है, डीबी स्टार टीम ने इसका इन्वेस्टीगेशन किया। इसके लिए पांच साल से चल रहे चार विभागों का जायजा लिया गया तो गड़बड़ियां सामने आईं। इनमें जहां प्राध्यापकों, स्टाफ और उपकरणों की कमी है तो लाइब्रेरी तक अपडेट नहीं की जा रही है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में मास्टर डिग्री दी जा रही है लेकिन इसके लिए अब तक कम्प्यूटर लैब और स्टूडियो ही नहीं बन पाए हैं। ऐसे में मात्र एक लेक्चरर के भरोसे चल रहे इस विभाग में छात्र प्रायोगिक ज्ञान से वंचित हैं। यही वजह है कि पिछले सत्र में वि.वि. को पी.जी. डिप्लोमा इन वीडियो प्रोडक्शन कोर्स के लिए शासन से अनुमति ही नहीं दी गई। मास्टर ऑफ जर्नलिज्म में भी एक रीडर और लेक्चरर हैं तो संसाधनों के नाम पर कुछ भी नहीं।
जनसंचार के अलावा विज्ञापन एवं जनसंपर्क विभाग (ए.पी.आर.) की स्थिति भी ठीक नहीं है। ए.पी.आर. में एक लेक्चरर के जिम्मे सारा काम है तो जनसंचार में सीटें ही नहीं भर पाती हैं। नए सत्र से एम.बी.ए. (मीडिया मैनेजमेंट) करवाने के नाम पर आवेदन मंगवाए गए लेकिन इसके लिए न तो लेक्चरर हैं और न ही विशेषज्ञ। एम.बी.ए. डिग्रीधारी एक लेक्चरर को विभागाध्यक्ष बना दिया गया है।

यह भी खुलासा हुआ कि समन्वय समिति की बैठक में एम.बी.ए. पाठच्यक्रम को अनुमति ही नहीं मिली थी कि उसके पहले ही वि.वि. प्रशासन ने प्रवेश के लिए विज्ञापन जारी कर दिया। ऐसे हालात के बाद भी जिन नए पाठच्यक्रमों को अनुमति मिली है उनमें पोस्ट ग्रेजुएशन डिप्लोमा इन प्रिटिंग टेक्नोलॉजी, पी.जी. डिप्लोमा इन फंक्शनल छत्तीसगढ़ी, पी.जी. डिप्लोमा इन इवेंट मैनेजमेंट और पी.जी. डिप्लोमा इन डिजिटल वीडियोग्राफी हैं। इनके लिए अब तक कोई सेटअप प्रस्तावित नहीं किया गया है तो वि.वि. के पास पिंट्रिंग यूनिट भी नहीं है।
ऐसे में प्रोफेशनल नहीं डिग्रीधारी निकलेंगे
समन्वय समिति ने पत्रकारिता वि.वि. को नए प्रोफेशनल कोर्स चलाने की अनुमति दी है तो पहले देखना चाहिए था कि उनके पास इसके लिए पर्याप्त प्राध्यापक और तकनीकी संसाधन हैं या नहीं। इनके बिना अनुमति देना गलत है। ऐसे में छात्रों को यहां से सिर्फ डिग्री ही मिल पाएगी, व्यावहारिक ज्ञान बिल्कुल नहीं। इस बारे में जिम्मेदारों को गंभीरता से सोचना चाहिए। डॉ. सत्यभामा आडिल, शिक्षाविद्
इस तरह तो उद्देश्य ही फेल हो जाएगा
पी.जी. डिप्लोमा इन फंक्शनल छत्तीसगढ़ी पाठच्यक्रम तैयार करने के लिए बनाई गई समिति में इस भाषा के जानकारों को नजरअंदाज किया गया है। वि.वि. प्रशासन ने छत्तीसगढ़ी भाषा में योगदान देने वालों को बुलाने के बजाय केवल अपने लोगों को शामिल कर लिया है। अध्यापन के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति में भी यही हुआ तो इसका उद्देश्य ही फेल हो जाएगा। डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्र, सदस्य, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग
निरीक्षण के बाद ही अनुमति मिली है
वि.वि. को नए पाठच्यक्रमों की अनुमति उच्च शिक्षा विभाग के साथ विशेषज्ञों की टीम के निरीक्षण के बाद मिली है। इनमें से कुछ इसी शैक्षणिक सत्र में शुरू हो जाएंगे। जहां तक संसाधन नहीं होने की बात है तो हम इन्हें जुटा लेंगे, बजट की कमी नहीं है। प्राध्यापकों की भर्ती संविदा में होगी। वैसे भी सभी पाठच्यक्रम सेल्फ फायनेंस हैं। सच्चिदानंद जोशी, कुलपति, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय(दिलीप जायसवाल,दैनिक भास्कर,रायपुर,2.7.11)

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