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13 जुलाई 2011

मनमाना नहीं हो सकता आईएएस, आईपीएस के कैडर का आवंटन

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के कैडर का आवंटन मनमाने तरीके से नहीं किया जा सकता।न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन और न्यायमूर्ति एके पटनायक की पीठ ने एक फैसले में कहा कि यद्यपि आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को अपनी पसंद की पोस्टिंग का अधिकार नहीं है लेकिन कैडर राज्य का आवंटन उचित और निष्पक्ष तरीके से किया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति पटनायक ने अपने फैसले में कहा,‘ सेवा के लिए नियुक्त विभिन्न उम्मीदवारों को राज्य कैडरों या संयुक्त कैडर का आवंटन करने के दौरान केंद्र सरकार को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता) और अनुच्छेद 16(1) (रोजगार के मामले में समान अवसर) के तहत संवैधानिक दायित्वों का भी निर्वहन करना होता है।’


उन्होंने कहा,‘अखिल भारतीय सेवा के लिए नियुक्त किसी सदस्य को कोई खास राज्य कैडर या संयुक्त कैडर आवंटित किए जाने का अधिकार नहीं है लेकिन उसे संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 16 (1) के तहत आवंटन के मामले में निष्पक्ष और समान बर्ताव किए जाने का अधिकार है।’ शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी केंद्र की उस अपील को खारिज करते हुए की जिसमें आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसके तहत साल 2004 की सिविल सेवा परीक्षा में 201 वां रैंक लाने वाले विक्र म वर्मा को 45 वां रैंक लाने वाले अविनाश मोहंती के दावे की अनदेखी करते हुए गृह कैडर आवंटित करने के फैसले को निरस्त कर दिया गया था। जहां मोहंती को छत्तीसगढ़ कैडर आवंटित किया गया था वहीं विक्र म को आंध्र प्रदेश कैडर दिया गया। उच्च न्यायालय ने कहा था कि विक्र म वर्मा को आंध्र प्रदेश कैडर के आवंटन से रोस्टर में कुल 10 ओबीसी उम्मीदवार होंगे जो ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 27 फीसदी आरक्षण के प्रावधान से छह फीसदी अधिक होगा। इस आधार पर उच्च न्यायालय ने कैडर आवंटन को रद्द कर दिया था।

केंद्र सरकार को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता) और अनुच्छेद 16(1) (रोजगार के मामले में समान अवसर) के तहत संवैधानिक दायित्वों का भी निर्वहन करना होता है : कोर्ट(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,13.7.11)

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