मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

20 जुलाई 2011

यूपीःबीटीसी मामले में ली जाएगी कानूनी सलाह

राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से बीटीसी की मान्यता हासिल करने वाली अल्पसंख्यक संस्थाओं को सीटें भरने का अधिकार देने के बारे में बेसिक शिक्षा विभाग न्याय विभाग से सलाह लेगा। सचिव बेसिक शिक्षा अनिल संत की अध्यक्षता में सोमवार को हुई बैठक में यह तय हुआ। संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत धर्म तथा भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा व संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए शिक्षण संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार है। प्राय: यह देखा गया है कि लाभ कमाने के मकसद से अल्पसंख्यक संस्थाएं अन्य धर्म के छात्रों से मनमानी फीस वसूल कर उन्हें अपने यहां प्रवेश दे देती हैं। एनसीटीई की 25 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना में अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को अपनी फीस तय करने का अधिकार दिया गया है, लेकिन यह भी कहा गया है कि उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होगा। एनसीटीई की अधिसूचना के मुताबिक अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं द्वारा कैपिटेशन फीस वसूलने पर भी प्रतिबंध है। यह अधिसूचना अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को अपने यहां की सीटों पर प्रवेश देने के अधिकार के बारे में खामोश है। उधर टीएमए पई फाउंडेशन व अन्य बनाम कर्नाटक सरकार व अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट 2002 में यह कह चुका है कि अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं के संचालन में राज्य की कोई दखलअंदाजी नहीं होगी। एनसीटीई से बीटीसी की मान्यता हासिल करने वाली प्रदेश में सात संस्थाएं हैं। अदालत के आदेश पर शासन ने इनमें से एक संस्था को बीटीसी की सभी सीटें स्वयं भरने का अधिकार दे दिया है। एक अन्य संस्था ने बीटीसी की सभी सीटें खुद भरकर इस सिलसिले में अदालत का दरवाजा खटखटाया है। एटा की एक संस्था मुस्लिम वेलफेयर एजुकेशनल सोसाइटी जिसके चार बीटीसी कॉलेज हैं, ने भी शासन से 100 प्रतिशत सीटें खुद भरने का अधिकार दिये जाने की मांग की है। प्रदेश में अल्पसंख्यक बीटीसी कॉलेजों में दाखिलों के बारे में अभी तक कोई स्पष्ट नीति नहीं है। इस मसले पर विचार करने के लिए मंगलवार को हुई बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण, न्याय और बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों के अलावा एनसीटीई के उप सचिव सुनील यादव भी मौजूद थे। बैठक में यह तय हुआ कि इस बारे में न्याय विभाग का परामर्श ले लिया जाए ताकि अल्पसंख्यक बीटीसी कॉलेजों के लिए कोई नीति बनायी जा सके(दैनिक जागरण,लखनऊ,19.7.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।